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कांग्रेस की सत्ता थी। इसे भी इसी तरह निशाना बनाया गया था। हमारे राजनेता सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने में विश्वास रखते हैं।
हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब दुर्घटनाएं, हत्याएं और विरोध प्रदर्शन चिंता के बजाय विवाद पैदा करते हैं। मणिपुर में संघर्ष और ओडिशा में रेल दुर्घटना इसके उदाहरण हैं।
सबसे पहले बात करते हैं ट्रेन हादसे की। क्यों हुआ यह भयानक हादसा? यह कैसे हुआ? क्या काम में कोई बड़ी साजिश थी? हालांकि सीबीआई ने अपनी जांच शुरू कर दी है, हर घातक दुर्घटना के लिए जांच से पहले व्यापक राहत प्रयास की आवश्यकता होती है। सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन विपक्ष के दल क्या कर रहे हैं? वे पुराने तरीके से इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं। वे आरामकुर्सी पर बैठ कर आलोचना कर रहे हैं और अगली समस्या की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे उन राज्यों से स्वयंसेवक और सहायता भेज सकते थे जहां वे सत्ता में हैं, लेकिन उन्होंने केवल बोलने का विकल्प चुना।
ऐसे हालात नए नहीं हैं। इसका एक उदाहरण 2013 की केदारनाथ आपदा थी। केदारनाथ में जब कुदरत का कहर फूटा था तब केंद्र में कांग्रेस की सत्ता थी। इसे भी इसी तरह निशाना बनाया गया था। हमारे राजनेता सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने में विश्वास रखते हैं।
source: livemint
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