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कुछ दिन पहले तक ऐसा लग रहा था कि भारत सरकार और ट्विटर में कभी नहीं खत्म होने वाली जंग चल रही है।
कुछ दिन पहले तक ऐसा लग रहा था कि भारत सरकार और ट्विटर में कभी नहीं खत्म होने वाली जंग चल रही है। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह जंग एक दिखावा थी, एक ड्रामा था, जिसका मकसद कुछ और था। ट्विटर ने जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का एकाउंट बंद किया और उसके बाद कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और पार्टी का आधिकारिक एकाउंट लॉक किया, उससे ऐसा लग रहा है कि कुछ दिन पहले भाजपा नेताओं के ट्विट हटा कर या ब्लू टिक हटा कर या एकाध घंटे के लिए उनका एकाउंट बंद करके एक धारणा बनाई गई थी कि ट्विटर एक स्वतंत्र और निष्पक्ष प्लेटफॉर्म है। उसके प्रति भाजपा और सरकार की विरोधी धारणा बनाने के लिए उसके खिलाफ कई राज्यों में मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
सरकार ने ट्विटर का इंटरमीडियरी दर्जा खत्म कर दिया था और उसके बाद समाज में वैमनस्य फैलाने से लेकर कई दूसरे मुकदमे ट्विटर पर हुए थे। लेकिन अब उन मुकदमों का क्या हुआ? इतने गंभीर मुकदमे इतनी आसानी से तो खत्म नहीं हो जाते, फिर उसमें क्या हो रहा है? सोचें, ट्विटर इंडिया के भारत प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ऊपर मुकदमे हुए थे और ट्विटर ने उनको प्रमोट करके अमेरिका भेज दिया। जब उनके नाम के साथ देश में एफआईआर दर्ज हुई है और जांच चल रही है तो कैसे उनको भारत से जाने की इजाजत दी जा सकती है। लेकिन इस बारे में कोई नहीं पूछ रहा है। सब उस मुकदमे को भूल गए क्योंकि ट्विटर ने अपना काम कर दिया है। उसने उस प्लेटफॉर्म से राहुल को हटा दिया है, जहां से वे सरकार और भाजपा विरोधी माहौल बना रहे थे।
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