सम्पादकीय

परिस्थितियां कुछ भी हों, अपना धैर्य खोए बिना शांति से मुद्दा सुलझाएं क्योंकि इससे आखिरकार आपको स्ट्रोक भी हो सकता है

Rani Sahu
7 Dec 2021 5:58 PM GMT
परिस्थितियां कुछ भी हों, अपना धैर्य खोए बिना शांति से मुद्दा सुलझाएं क्योंकि इससे आखिरकार आपको स्ट्रोक भी हो सकता है
x
इस रविवार देर शाम मैं एयरपोर्ट पर विमान में बोर्डिंग का इंतजार कर रहा था

एन. रघुरामन इस रविवार देर शाम मैं एयरपोर्ट पर विमान में बोर्डिंग का इंतजार कर रहा था। मेरी तरह इंतजार कर रहे एक यात्री ने मास्क निकाला और बोतल से पानी पीना शुरू कर दिया। वह किताब पढ़ने में मगन था, इसलिए आराम से हर दो मिनट में एक-एक घूंट पानी पी रहा था और मास्क से नाक-मुंह ढंकने की जहमत नहीं उठा रहा था। वहां एक चिड़चिड़ा आदमी गुस्से से उसे घूर रहा था।

अचानक वह उसके पास आया और मास्क को ठुड्डी से सरकाकर मुंह ढंकने के लिए कहा। पानी पी रहा आदमी बोला, 'आपको दिखता नहीं कि मैं पानी पी रहा हूं।' और उधर से पहले से ही तैयार जबाव मिला- 'तुम पिछले 20 मिनट से 100 एमएल पानी पी रहे हो।' उसने कहा, 'तो क्या हुआ।' गुस्साए व्यक्ति ने कहा, 'देखो तुम्हें टीका नहीं लगा है और तुम वायरस फैला सकते हो। इसलिए मैं तुमसे मास्क पहनने के लिए कह रहा हूं।'
धीरे-धीरे बाकी लोगों का ध्यान भी इस ओर गया और देख रहे लोग जमा हो गए। वहां जमा लोगों के चेहरे पर सवालिया निशान थे कि गुस्सा करने वाले उस व्यक्ति को कैसे पता कि दूसरे को टीका नहीं लगा। गुस्साए व्यक्ति ने वहां लोगों को सफाई देना शुरू कर दिया कि चैक-इन काउंटर पर वह उस व्यक्ति के पीछे खड़ा था और काउंटर पर उसके और क्लर्क के बीच हुई बातचीत उसने सुनी थी।
बिना मास्क वाले व्यक्ति ने तपाक से कहा, 'तब तो आपको ये भी पता होना चाहिए कि एयरलाइंस हालिया आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बिना यात्रा नहीं करने देती हैं। ये है रिपोर्ट।' अपनी किताब के बीच से उसने कागज निकाला और उसके चेहरे पर लहरा दिया। जुबानी तकरार अलग ही स्तर पर जा चुकी थी। थोड़ी-सी देर में ही मैंने वहां दो ग्रुप बनते हुए देखे, जिसमें हर कोई किसी एक का साथ दे रहा था।
बाद में एयरलाइन कर्मचारियों के साथ यात्रियों के दखल के बाद बिना टीके के व्यक्ति को मास्क पहनकर नाक-मुंह ढंकना पड़ा। अचानक उस गुस्सा करने वाले व्यक्ति को बेचैनी होने लगी और वह छाती पकड़कर बैठ गया। लोगों ने उसे शांत किया और पानी दिया, वहां यात्रियों में से एक डॉक्टर ने उन्हें चिंता कम करने की सलाह दी।
इस स्तम्भ में मैंने एक साल पहले ही एेसी परिस्थितियां बनने का अंदेशा जताया था। दुनिया में सिर्फ दो ही जातियां रह जाएंगी- 'टीका लगी हुई' और 'बिना टीके की'- कम से कम जब तक वायरस का स्थायी हल नहीं मिल जाता। जाहिर तौर पर टीका लगे लोग एक डर से ग्रसित होंगे कि बाकी लोग उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं और बिना टीका वालों से दूरी बनाने की कोशिश करेंगे जैसा प्राचीन भारत में जातियों के बीच होता था।
आज अगर एयरलाइन यात्रियों को पता चल जाए कि कोई बिना टीका वाला है, तो वे तुरंत खुद को उनसे दूर कर लेते हैं और विमान दल को अपनी सीट बदलने तक के लिए कहते हैं। ये अजीब है, लेकिन सच है। जैसे ही मैं विमान में चढ़ा, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ आयरलैंड की पिछले हफ्ते की स्टडी पढ़ना शुरू कर दी, जिसके अनुसार गुस्सा और परेशानी स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती है।
स्ट्रोक झेलने वाले 11 में से एक व्यक्ति को स्ट्रोक से एक घंटा पहले गुस्सा आ रहा था या वे परेशान थे। शोधकर्ताओं ने 32 देशों के 13,462 मामलों पर गौर किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि गुस्सा इंट्रासेरेब्रल हैमरेज (दिमागी पक्षाघात) का खतरा दोगुना कर देता है। और मैं सोच रहा था कि 45 मिनट की फ्लाइट के लिए किसी बिना टीके लगे हुए व्यक्ति के कारण अपना धैर्य खो देना सही है, जिससे स्ट्रोक भी हो सकता है? मैं उलझन में हूं।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story