सम्पादकीय

जो बाइडेन और शी जिनपिंग की समिट से क्या सुधरेंगे रिश्ते, सुपरपावर अमेरिका क्या चीन को देगा बराबरी का दर्जा?

Gulabi
12 Nov 2021 1:39 PM GMT
जो बाइडेन और शी जिनपिंग की समिट से क्या सुधरेंगे रिश्ते, सुपरपावर अमेरिका क्या चीन को देगा बराबरी का दर्जा?
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सुपरपावर अमेरिका क्या चीन को देगा बराबरी का दर्जा?

विष्णु शंकर।

अमेरिकी अख़बार 'वॉल स्ट्रीट जनरल' ने अमेरिका और चीन (China) के रिश्तों में बढ़े हुए तनाव के बीच सूत्रों के हवाले से बताया है कि बहुत संभव है राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) सोमवार को वर्चुअली यानि रिमोट लोकेशन से एक समिट मीटिंग में बातचीत करेंगे. राष्ट्रपति बाइडेन चाहते थे कि दोनों नेता रोम में हाल में ही आयोजित की गयी G-20 शिखर सम्मेलन में आमने सामने बैठ कर बात करें, लेकिन जैसा हम आपको "सोच समझकर" के एक पिछले अंक में बता चुके हैं, राष्ट्रपति जिनपिंग कोरोना वायरस के ख़तरे के चलते पिछले 21 महीनों से देश से बाहर नहीं गए हैं, इसलिए ये संभव नहीं हो पाया. ये भी संभव है कि चीन के राष्ट्रपति अब से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने के पक्ष में ही नहीं थे.


ऐसा होना मुमकिन है क्योंकि चीन और अमेरिका, दोनों, कई मुद्दों पर तल्खी के साथ बाहें चढ़ाए आमने सामने खड़े हैं. इनमें कोरोना वायरस की शुरुआत की जगह और वजह और दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन सबसे पहले उपलब्ध कराने की होड़ शामिल हैं.

इससे पहले दो बार फोन पर जिनपिंग और बाइडेन की हो चुकी है बातचीत
लेकिन दो दिन पहले यानि 10 नवम्बर को इस तल्खी में तब कुछ कमी आई जब स्कॉटलैंड के ग्लास्गो शहर में Climate Change पर हो रहे राष्ट्रसंघ के COP 26 सम्मलेन में जलवायु परिवर्तन के कारण और कुप्रभाव रोकने के क़दमों पर चीन ने अमेरिका से सहयोग करने पर सहमति ज़ाहिर की.

ध्यान रखिए कि राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा जनवरी 2021 में कामकाज संभालने के बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर उनकी दो बार बातचीत हुई है. अगले सोमवार को होने वाली वर्चुअल समिट मीटिंग में ये नेता द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने कोशिश करेंगे. दोनों देशों के बीच बहुत से ऐसे मुद्दे हैं- ताइवान, साइबर सिक्योरिटी, द्विपक्षीय और वैश्विक व्यापार, परमाणु अप्रसार, जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार आदि. जिन पर विचार विमर्श ज़रूरी है.

ट्रम्प के टर्म में अमेरिका और चीन के संबंध बहुत ज़्यादा खराब हो गए थे
भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के टर्म में अमेरिका और चीन के संबंध बहुत ज़्यादा खराब हो गए थे, और सुरक्षा, मानवाधिकार और व्यापार के मामले में दौड़धूप तो बहुत हुई लेकिन नतीजा सिफ़र निकला. अमेरिकी संसद, कांग्रेस, में भी दोनों राजनीतिक पार्टियां, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स लगातार विभिन्न मुद्दों पर चीन की नीतियों और व्यवहार की आलोचना करते रहे हैं. इससे दोनों देशों के रिश्तों में और कड़वाहट आ गयी.

ख़ैर, अच्छी बात यह है कि राष्ट्रपति बाइडेन का कार्यकाल शुरू होने पर शी ने अमेरिका के साथ मिल कर काम करने की इच्छा ज़ाहिर की थी. ग्लास्गो में COP 26 में Climate Change पर चीन और अमेरिका के बीच राज़ीनामा शायद इसी सिलसिले का हिस्सा है.

ताइवान के मु्द्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव है
ताइवान के प्रश्न पर दोनों देशों में तनाव बढ़ा है. चीन ने पिछले कुछ महीनों में ताइवान की वायुसीमा में अपने जंगी जहाज़ों से बार-बार घुसपैठ कर इस छोटे से देश को धमकाने की कोशिश की है. दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य मित्र देशों के युद्धपोतों, जिनमें एयरक्राफ्ट कैरियर बेड़े शामिल हैं, इन्होंने दक्षिणी चीन सागर में अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक गश्तें की है, जिनसे चीन भड़का है. राष्ट्रपति बाइडेन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यहां तक कह दिया कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिका ताइवान के साथ खड़ा होगा. इस मामले को White House ने बाद में काफी मशक्कत कर संभालने की कोशिश की.

अमेरिका, चीन की लगातार बढ़ती सैनिक तैयारी को लेकर चिंतित है.चीन ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक हथियार का टेस्ट किया है और यह मंशा ज़ाहिर की है कि 2030 तक वह 1000 परमाणुबम बना लेगा. चीन ने सैनिक ट्रेनिंग के लिए अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर के मॉडल भी तैयार किये हैं. ये सभी मुद्दे बाइडेन और शी जिनपिंग की बातचीत में उठ सकते हैं.

अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैक्स से भी चीन नाराज है
चीन इंडो पैसिफिक में QUAD ग्रुप के देशों के सहयोग, और एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ अमेरिका के घनिष्ठ होते रिश्तों को भी गंभीरता से ले रहा है. चीन के शिनजियांग प्रान्त के वीगर लोगों के मानवाधिकारों के हनन पर अमेरिका की आलोचना वाली टिप्पणियों ने भी चीन को काफी नाराज़ किया है. चीन चाहता है कि भूतपूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के टर्म में परस्पर व्यापार में अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैक्स को वापस लिया जाए. लेकिन अमेरिका ने इनमें से अधिकतर करों को बनाए रखा है और साथ में यह आश्वासन दिया है कि वह व्यापार के प्रश्न पर बातचीत के लिए तैयार है.

क्या अमेरिका दुनिया में अपनी लीडरशिप बांटने के लिया तैयार होगा?
अमेरिका के Justice Department ने एक काम चीन को खुश करने वाला ज़रूर किया है. इसने ह्वावै टेक्नोलॉजीज़ की वित्तीय प्रमुख मेंग वांशू को राष्ट्रपति ट्रम्प के कहने पर कैनेडा में तीन साल तक हिरासत में रखने के बाद वापस चीन जाने की इजाजत दिला दी. इसके परिणाम स्वरूप मेंग स्वदेश लौट गईं और घर पहुंचने पर उनका हीरो जैसा स्वागत किया गया.

अमेरिका को उम्मीद है कि चीन उसके इस फैसले से संतुष्ट हो संबंध सुधारने की बातचीत को आगे बढ़ाने में रुचि लेगा. मुश्किल यह है कि चीन खुद को अगले सुपरपावर के रूप में देखता है, इसलिए वह अमेरिका से बराबरी के दर्जे की उम्मीद करेगा. क्या अमेरिका दुनिया में अपनी लीडरशिप बांटने के लिया तैयार होगा? सोमवार की वर्चुअल शिखर बैठक के नतीजों का दुनिया को इंतज़ार रहेगा.


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