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- LAC पर क्या होगा?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संकट हल करने की कोशिश का असली स्वरूप क्या है, इसको लेकर देश में भरोसा पैदा करने की जरूरत है। भारतीय मीडिया में खबर आई कि दोनों देश अपनी फौज को अप्रैल की स्थिति में वापस ले जाने को सहमत हो गए हैं। इसका चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने तुरंत प्रतिवाद कर दिया। उसने एक टिप्पणी में लिखा कि अपनी जनता को अनुकूल संदेश देना भारतीय मीडिया की आदत है। उसके बाद शुक्रवार को इसी अखबार ने साफ लिखा कि उसे मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय फौज पहले लौटेगी, फिर चीन की फौज तनाव घटाने वाले कदम उठाएगी। लेकिन चीनी फौज कहां तक लौटेगी, ये साफ नहीं है। मई से- यानी जब से ताजा विवाद खड़ा हुआ है, चीनी सेना यही कहती रही है कि उसने कोई घुसपैठ नहीं की। यानी वो जहां तक आ पहुंची है, उसे वह अपना इलाका बताती रही है। भारतीय जन मानस को यह बात मंजूर नहीं हो सकती। इसलिए इस बारे में सरकार को दो टूक बताना चाहिए कि आखिर दोनों देशों में क्या सहमति बनी है। वैसे इस मामले में पिछले हफ्ते रूस ने जो चेतावनी दी, वह अहम है। रूस ने कहा कि भारत-चीन तनाव जारी रहा तो उससे पूरे यूरेशिया क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी।
इस तनातनी का गलत इस्तेमाल अन्य सक्रिय ताकतें अपने भू-राजनीतिक उद्देश्य के लिए कर सकती हैं। रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने कहा कि दो एशियाई शक्तियों के बीच तनाव से रूस स्वाभाविक रूप से चिंतित है। उन्होंने कहा कि अविलंब एलएसी पर जारी तनाव का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है। उन्होंने इस बात के भी संकेत भी दिए कि रूस बैक चैनल वार्ता का इस्तेमाल तनाव कम करने के लिए कर सकता है। बेशक रूस एक खास स्थिति में है, क्योंकि उसके संबंध दोनों चीन और भारत के साथ विशेष और रणनीतिक रूप से अहम हैं। भारत और चीन शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स का सदस्य हैं। इसका हवाला देते हुए बाबुश्किन ने कहा जब बहुपक्षीय मंच पर सहयोग की बात आती है तो सम्मानजनक संवाद ही प्रमुख हथियार होता है। रूस भारत को हथियारों का एक बड़ा सप्लायर है। ऐसे खास संबंधों के कारण रूस की चिंता समझी जा सकती है। इसीलिए उसकी बातों को भारत और चीन दोनों को गंभीरता लेना चाहिए। मगर इसके लिए पहले आपसी भरोसा पैदा करना होगा, जो अब आसान नहीं है।