सम्पादकीय

राज्यपाल कोश्यारी अब क्या करेंगे?

Triveni
16 Aug 2021 3:15 AM GMT
राज्यपाल कोश्यारी अब क्या करेंगे?
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महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अब क्या करेंगे? वे राज्य सरकार की ओर से विधान परिषद में नामित करने के लिए भेजे गए 12 नामों पर कोई फैसला करेंगे या अब भी चुपचाप उसे लिए बैठे रहेंगे?

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अब क्या करेंगे? वे राज्य सरकार की ओर से विधान परिषद में नामित करने के लिए भेजे गए 12 नामों पर कोई फैसला करेंगे या अब भी चुपचाप उसे लिए बैठे रहेंगे? बांबे हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब अनिवार्य हो गया है कि वे इस बारे में कोई फैसला करें। या तो वे सूची वापस लौटा दें या उसे मंजूरी दें। अगर वे सूची वापस लौटाते हैं तो उसके लिए उन्हें कोई ऐसा कारण बताना होगा, जो तार्किक हो। यह तर्क नहीं चल सकता है कि सरकार ने मनोनयन वाले कोटे में राजनीतिक लोगों के नाम भेजे हैं। भाजपा की हर राज्य सरकार ने राजनीतिक लोगों को मनोनयन वाले कोटे से विधान परिषद में भेजा है और केंद्र सरकार ने संसद में भेजा है। हाल ही में बिहार में तो सभी 12 के 12 नाम राजनीतिक लोगों के भेजे गए और राज्यपाल ने मंजूरी भी दी। महाराष्ट्र सरकार की सूची में तो कम से कम कुछ नाम साहित्य, सिनेमा और कला जगह के लोगों के भी हैं।

बहरहाल, बांबे हाई कोर्ट ने इस मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जो आदेश दिया है वह राज्यपाल के लिए शर्मिंदगी का कारण होना चाहिए। अदालत ने कहा है- हम जानते हैं कि राज्यपाल अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, लेकिन उनका यह संवैधानिक कर्तव्य बनता है कि वे मंजूरी के लिए भेजे गए नामों पर यथोचित समय सीमा के अंदर कोई फैसला करें। सोचें, हाई कोर्ट ने राज्यपाल को उनके संवैधानिक कर्तव्य की याद दिलाई है। इतनी ही नहीं यथोचित समय सीमा के अंदर फैसला करने की सलाह देते हुए हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि आठ महीने बीत चुके हैं और उसके हिसाब से यह यथोचित समय सीमा है। यानी अदालत ने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि अब बहुत हो चुका, राज्यपाल इस पर फैसला करें। अदालत ने कहा है कि यह राज्यपाल का कर्तव्य है कि वे बिना देरी किए फैसला करें। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में कैबिनेट की मंजूरी के बाद 12 नाम विधान परिषद में मनोनीत करने के लिए भेजे थे, जिस पर अभी तक राज्यपाल ने फैसला नहीं किया है।


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