सम्पादकीय

सप्ताह में सिर्फ साढ़े चार दिन काम के फैसले से UAE में क्या बदलेगा?

Gulabi
9 Dec 2021 8:30 AM GMT
सप्ताह में सिर्फ साढ़े चार दिन काम के फैसले से UAE में क्या बदलेगा?
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UAE में क्या बदलेगा?
बिक्रम वोहरा।
संयुक्त अरब अमीरात यानि UAE ने वर्किंग वीकएंड (Weekend) शिफ्ट में अहम बदलाव किया है. इसके तहत वीकएंड को शुक्रवार-शनिवार से शनिवार-रविवार में शिफ्ट कर दिया गया है. कारोबारी जरूरतों से प्रेरित इस फैसले ने यूएई को पश्चिमी देशों की कतार में ला दिया है, जिससे वैश्वविक स्तर प्रतिस्पर्धा में भी उसे मदद मिलेगी. यूएई खाड़ी और मध्य पूर्व में ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है, जो कि मानचित्र पर छोटे से दिखने वाले देश के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है. गौरतलब है कि बैंकिंग, उड्डयन, कूटनीति, पर्यटन, एमआईसीई गतिविधि से लेकर सैन्य शक्ति के रूप में भी यूएई तेजी से उभर रहा है.
लेकिन यह सब सिर्फ कारोबार के लिए ही नहीं किया गया है. यूएई एकमात्र ऐसा देश है, जहां लोगों के प्रति सहिष्णुता और उनकी खुशी के लिए एक मंत्रालय बनाया गया है. इसके अलावा एक कार्य नीति है, जो मानवीय मूल्यों का समर्थन करती है. शुक्रवार को आधे दिन की अतिरिक्त छुट्टी से लोगों को लंबा वीकएंड मिलेगा, जिससे वे अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता पाएंगे. दरअसल, यूएई का मकसद लोगों की फैमिली और ऑफिस के बीच संतुलन बनाना है.
क्या दूसरे देश भी इसे लागू करेंगे?
इसे सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक तौर पर शुक्रवार दोपहर 1:15 बजे नमाज आयोजित की जाती है, जिसके बाद वीकएंड की शुरुआत हो जाती है. इस फैसले से जुमे की नमाज की पवित्रता भी बनी रहती है और लोगों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ ज्यादा क्वॉलिटी टाइम बिताने का वक्त मिलता है. यूएई में बेहतर पैरेंटिंग, परिवारिक जिंदगी और कामकाज में पुरुषों से महिलाओं की बराबरी को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां बच्चों की परवरिश और भावी पीढ़ी को मजबूत बनाने को प्राथमिकता दी जाती है. यहां परिवार की अहमियत सबसे ज्यादा होती है.
यूएई सप्ताह के कामकाज में कटौती करने वाला पहला देश बन गया है, दावा किया जा रहा है कि नई व्यवस्था में प्रशासनिक कार्य की रफ्तार और बढ़ेगी और वर्कर्स की कार्यक्षमता भी बेहतर होगी. हालांकि अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि इस क्षेत्र के दूसरे देश भी इसे लागू करेंगे. लेकिन जब वे इस फैसले से होने वाले परिवर्तन को देखेंगे तो उनके विचारों में भी बदलाव आ सकता है.
प्राइवेट सेक्टर भी जल्द इस नियम का पालन करेगा
यूएई में 200 से ज्यादा देशों के नागरिक जिस अविश्वसनीय सद्भाव और आपसी सम्मान के साथ रहते हैं. इससे साबित हो चुका है कि ये देश अपने दावों को हकीकत में बदलने की काबिलियत रखता है. यूएई में सामाजिक प्राथमिकताओं का भी ध्यान रखा जाता है, जिसके चलते यहां सबसे प्रतिष्ठित गुरुद्वारों में से गुरु नानक साहिब दरबार, श्री स्वामीनारायण मंदिर और चर्च के अलावा अब यहूदियों के लिए सिनेगॉग भी मौजूद हैं. यहां धर्म को लेकर कोई बाध्यता नहीं है और आप पूजा करने के लिए स्वतंत्र हैं.
देश के सरकारी कार्यालय इस नियम का पालन करने लगे हैं. कहा जा रहा है कि नए साल से प्राइवेट सेक्टर को भी इसका पालन करना होगा, क्योंकि शुक्रवार की नमाज में शामिल होने के अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता है. कुछ कंपनियां धीरे-धीरे गैर-मुसलमानों को भी घर जाने की अनुमति दे सकती हैं, क्योंकि आमतौर पर ऐसा ही होता है. आखिर में हर कोई इस बात पर एकमत है. आधिकारिक घोषणा में इस बात पर जोर दिया गया है कि नई व्यवस्था में विकसित देशों के साथ कामकाज के तालमेल का फायदा होगा.
वैश्विक बाजारों से UAE का तालमेल बेहतर होगा
इसमें लिखा है, 'आर्थिक दृष्टिकोण से नया वर्किंग वीकएंड यूएई को सीधा वैश्विक बाजारों से जोड़ेगा, जिससे ग्लोबल इकॉनमिक मैप पर देश की रणनीतिक स्थिति साफ होगी. इससे उन देशों के साथ सुचारू वित्तीय, व्यापार और आर्थिक लेनदेन सुनिश्चित होगी, जो शनिवार/रविवार वीकएंड का पालन करते हैं, जिससे हजारों यूएई बेस्ड और मल्टीनेशनल कंपनियों को मजबूत इंटरनेशनल बिजनेस लिंक और मौके मिलते हैं.'
यूएई की समाचार एजेंसी डब्ल्यूएएम के मुताबिक, इस कदम का इकलौता मकसद है वैश्विक बाजारों से यूएई के तालमेल को बेहतर करना. जो कि दुनिया का सबसे छोटा वर्किंग वीक होगा. आधिकारिक रूप से सप्ताह महज साढ़े चार दिन में खत्म हो जाएगा. हालांकि वर्किंग आवर की तुलना में अब भी नीदरलैंड बेहतर है. जहां महिलाएं सप्ताह में औसतन 25 घंटे काम करती हैं, जबकि पुरुष सप्ताह में 34 घंटे काम करते हैं. जो कि करीब चार दिन के बराबर का काम होता है. हालांकि ये वर्किंग आवर वहां पांच दिनों में पूरा करना होता है. माइक्रोसॉफ्ट जापान ने साल 2019 की गर्मियों के दौरान चार दिन के वर्क वीक का ट्रायल किया था, जिसमें श्रमिकों को शुक्रवार को पेड लीव दी गई थी, लेकिन यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट टेस्ट था.
लोगों की बेहतरी के लिए ये ज़रूरी था
इस मामले में एक और पहलू ये है कि इससे लोगों को अपने लिए ज्यादा वक्त मिलेगा. जिसका इस्तेमाल वो धार्मिक और पेशेवर मापदंडों को कायम रखने के अलावा अपनी शौक को पूरा करने, खेल-कूद में हिस्सा लेकर (यूएई की लाइफस्टाइल की एक और पहचान) स्वस्थ रहने और खाली समय का आनंद उठाने में करेंगे.
अब सवाल ये है कि क्या कम समय के कामकाज के दौरान लोगों से बेहतर कार्यक्षमता और समर्पण की उम्मीद होगी? अच्छा प्रदर्शन करने का अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा. यह दबाव अंत में बेहतर प्रोडक्ट तैयार करने में काम आएगा और 60 घंटे से अधिक का डाउनटाइम हर किसी को तरोताजा होने में मदद करेगा. साथ में आधे दिन की अतिरिक्त छुट्टी से और फर्क आएगा. क्योंकि आराम के लिए तीन और शाम मिलेगी.
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