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- बाइडेन की मोदी से क्या...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नहीं। वैसे कतई नहीं जैसे डोनाल्ड ट्रंप से पटी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परिस्थितिजन्य, वक्त की राम मिलाई जोड़ी थे। यह अलग बात है कि बावजूद इसके डोनाल्ड ट्रंप से भारत का भला नहीं हुआ। भारत के नौजवान आईटी पेशवरों, वीजाधारकों और व्यापार के साथ बुरा हुआ लेकिन नरेंद्र मोदी को निजी तौर पर छप्पन इंची छाती में ट्रंप की शाबाशी का मुनाफा था। ट्रंप-मोदी ने निजी स्वार्थ में विदेश नीति का कबाड़ा किया, राजनीति की और इसका नतीजा भारत को अब बाइडेन प्रशासन में भुगतना होगा। आजाद भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्थिकी में नोटबंदी जैसी ही विदेश नीति में यह महागलती थी जो अमेरिका की जमीन में मोदी ने नारा लगाया 'अबकी बार ट्रंप सरकार'! हां, सितंबर 2019 में अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में भारतीय मूल के लोगों की भीड़ के 'हाउडी मोदी इवेंट' में डोनाल्ड ट्रंप को महान बनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था- "ट्रंप ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत बनाया है। उन्होंने अमेरिका को काफी कुछ दिया है। दोस्तों! हम भारत के लोग प्रेसिडेंट ट्रंप के उम्मीदवार के तौर पर दिए गए नारे 'अबकी बार, ट्रंप सरकार' से जुड़ाव महसूस करते हैं। जब मैं उनसे पहली बार मिला तो उन्होंने कहा कि भारत का सच्चा दोस्त व्हाइट हाउस में बैठा है। आपकी (ट्रंप) आज यहां मौजूदगी इस बात की गवाह है।"