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पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है, जहां देश में सबसे पहले पुनर्जागरण हुआ था और उसके केंद्र में था शहर कोलकाता। पश्चिम बंगाल को हम जब भी याद करते हैं
जयंत घोषाल,
पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य है, जहां देश में सबसे पहले पुनर्जागरण हुआ था और उसके केंद्र में था शहर कोलकाता। पश्चिम बंगाल को हम जब भी याद करते हैं, तो राजा राममोहन राय, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और महाकवि टैगोर की छवि ध्यान में आ जाती है। ऐसे शहर और राज्य में राजनीति अभी इतनी ज्यादा गरमा गई है कि आम लोग भी चिंतित होने लगे हैं। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा के बीच जिस तरह से तू-तू मैं-मैं तेज हुई है या लगभग हर दिन जो लड़ाई हो रही है, क्या वह पश्चिम बंगाल के हित में है?
हैदराबाद में अभी भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई और उसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा शासन वाले राज्यों का भी जिक्र किया। फिर साफ हो गया कि भाजपा इन राज्यों में सत्ता में आना चाहती है। पश्चिम बंगाल में भाजपा के सबसे बडे़ नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी कह दिया कि जैसा महाराष्ट्र में हुआ है, वैसा ही पश्चिम बंगाल में भी होने की संभावना है। इसके तुरंत बाद ममता बनर्जी ने भी प्रतिक्रिया दे दी। भाजपा नेतृत्व पर उन्होंने हमला बोल दिया। ममता ने यह भी कहा कि यह जो बुलडोजर पॉलिटिक्स है, उसका बदला जनता भाजपा को शासन से हटाकर लेगी और 2024 में वह सत्ता में नहीं रहेगी।
पश्चिम बंगाल में भाजपा राजनीतिक हिंसा को भी एक बड़ा मुद्दा बनाकर चल रही है। उसमें राज्यपाल भी लगातार प्रतिक्रिया करते चल रहे हैं। पिछले दिनों राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने के लिए राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक पारित कर दिया, लेकिन यह विधेयक राज्यपाल के पास लंबित है और राज्यपाल कुलपति नियुक्त करने का अपना अधिकार छोड़ना नहीं चाहते हैं। इस मुद्दे पर भी राजनीतिक तनाव लगातार बढ़ रहा है और दूसरे राज्यों की भी इस टकराव पर नजर है।
कुल मिलाकर, भाजपा और तृणमूल के बीच जो तनातनी की स्थिति है, उससे यह सवाल खड़ा होने लगा है कि कहीं पश्चिम बंगाल का विकास ठप न हो जाए। प्रधानमंत्री बार-बार डबल इंजन सरकार की बात कर रहे हैं। उन्होंने हैदराबाद में भी यह दोहराया है कि केंद्र और राज्य में यदि भाजपा की सरकार रहे, तो विकास ज्यादा आसान रहता है। ममता बनर्जी दूसरी बात कह रही हैं, ग्रामीण विकास के लिए सौ करोड़ रुपये राज्य को चाहिए, पर केंद्र सरकार नहीं दे रही। केंद्र सरकार कह रही है कि ऑडिट रिपोर्ट चाहिए। नीति आयोग का यह नियम है कि पहले ऑडिट रिपोर्ट देनी पड़ती है, उसके बाद ही पैसा जारी किया जाता है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव नई दिल्ली आकर बैठक कर रहे हैं और उन्होंने कहा भी है कि ऑडिट रिपोर्ट दे दी गई है। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि यह ऑडिट रिपोर्ट पर्याप्त नहीं है। अब लगभग हर मुद्दे पर केंद्र और राज्य के बीच जो संघर्ष दिखाई पड़ रहा है, उससे संघवाद पर खतरा मंडराने लगा है।
पत्रकारिता में मेरा अनुभव चालीस साल का है और अब जैसी तू-तू मैं-मैं हो रही है, वैसी पहले कभी नहीं हुई थी। जिस शहर ने कभी पूरे देश को जगाया था, जो शहर कभी देश की सांस्कृतिक राजनीतिक राजधानी था, वह शहर आज चिंतित है। वहां के लोग चाहते हैं कि राजनीति अपनी जगह रहे, लेकिन राज्य-केंद्र संबंध में सुधार हो, संवाद का एक सिलसिला बने। ममता बनर्जी दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मिलें, तो प्रधानमंत्री भी ममता बनर्जी को फोन करके पूछें कि राज्य की जरूरतें क्या हैं? अगर यह धारणा बन जाए कि भाजपा का शासन नहीं, इसलिए केंद्र सरकार पैसा नहीं दे रही है, तो क्या यह संघीय ढांचे के लिए ठीक है? राजनीतिक संघर्ष अपनी जगह है, जो तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जारी रह सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच संवाद कभी नहीं टूटना चाहिए। जब ज्योति बसु मुख्यमंत्री थे, तब वह राजीव गांधी से लेकर नरसिंह राव तक सबसे संवाद रखते थे। भाजपा राज्य में रैली करे, राज्य सरकार की आलोचना करे, तृणमूल कांग्रेस भी भाजपा की निंदा करे, लेकिन परस्पर हिंसा तत्काल रुकनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल में अगले साल मई में पंचायत चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले चुनाव कराने पर ममता विचार कर रही हैं। पिछली बार पंचायत चुनाव में खूब हिंसा हुई थी, वह फिर से हिंसा कतई नहीं चाहेंगी, लेकिन इसके लिए बेहतर राजनीतिक माहौल बनाना पडे़गा। लेकिन संघर्ष को और तीखा बनाने के लिए एक शब्द जेहाद भी खूब इस्तेमाल होने लगा है। पहले भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी कह रहे थे कि ममता बनर्जी की सरकार जेहादी सरकार है और इसे हटाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी लगभग 30 प्रतिशत है और यह आबादी भाजपा को वोट नहीं करती। ममता को इनका पूरा वोट मिलता है। उत्साह में ममता ने कह दिया कि मोदी और शाह के राज को खत्म करने के लिए जेहाद करेंगे। ममता से जब यह पूछा गया कि आप जेहाद शब्द का इस्तेमाल क्यों कर रही हैं, तो जवाब मिला कि इससे इस्लामिक आतंकवाद का कोई लेना-देना नहीं है, बंगाल में 'जेहाद' शब्द का अर्थ है 'विरोध।'
क्या लोकतांत्रिक संघर्ष में जेहाद शब्द के इस्तेमाल से सद्भाव बढ़ सकता है? पश्चिम बंगाल में धर्म और जाति के आधार पर लड़ाई कम है, पर राजनीतिक हिंसा की जो खराब परिपाटी जारी है, वह खत्म होनी चाहिए। दलों के बीच हिंसा न करने पर सहमति बननी चाहिए। संघवाद को मजबूत करने पर जोर देना चाहिए। हां, यह सही है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष कमजोर हुआ है और भाजपा की आक्रामकता बढ़ी है। पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की आक्रामकता बढ़ी है, लेकिन उसके कुछ नेता तृणमूल कांग्रेस में लौट रहे हैं। महाराष्ट्र में भले ही भाजपा को सरकार बनाने में कामयाबी मिली हो, लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल को तोड़ना आसान नहीं है। चुनाव अभी दूर हैं, फिर भी कोशिश करना भाजपा का काम है, वह करेगी। लेकिन एक बार जरूर सोचना चाहिए कि जब केंद्र में नरेंद्र मोदी का विकल्प नहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का विकल्प नहीं, तो हम ऐसा झगड़ा क्यों करें, जिससे राज्य का नुकसान हो या फिर भारतीय संघ को किसी तरह से नुकसान हो। पश्चिम बंगाल के लोगों को भी विकास, रोजगार, बुनियादी सुविधाएं चाहिए और ऐसा केंद्र-राज्य के बेहतर समन्वय से ही जल्दी संभव है।
सोर्स- Hindustan Opinion Column

Rani Sahu
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