सम्पादकीय

इस हार को क्या नाम दें… बल्लेबाज विराट की शिकस्त या कप्तान कोहली की?

Gulabi
14 Jan 2022 4:29 PM GMT
इस हार को क्या नाम दें… बल्लेबाज विराट की शिकस्त या कप्तान कोहली की?
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बल्लेबाज विराट की शिकस्त या कप्तान कोहली की?
हरीश मिश्रा।
दक्षिण अफ्रीका में टीम इंडिया (Team India) की हार तो हुई है. आप भले ही ये सोचकर दिल बहला लें कि बस थोड़े से रन और होते तो बाजी पलट सकती थी लेकिन क्रिकेट की रिकॉर्ड बुक में ये हार दर्ज हो गई है. पहले टेस्ट मैच में पिछड़ने के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम ने पलटवार किया. अगले दो टेस्ट मैच जीते और दक्षिण अफ्रीका में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतने के भारत के सपने को तोड़ दिया. केपटाउन टेस्ट (Cape Town Test) में भारतीय टीम को 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा. ये चर्चा अभी कुछ दिन तक गर्म रहेगी कि क्या भारतीय टीम ने इतिहास रचने का सुनहरा मौका खो दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि दक्षिण अफ्रीका की मौजूदा टीम को अपेक्षाकृत कमजोर माना जा रहा था. तेज गेंदबाज एनरिक नॉर्खिया टीम में नहीं थे. क्विंटन डी कॉक जैसे अनुभवी खिलाड़ी ने सीरीज के दौरान ही संन्यास का ऐलान कर दिया. बावजूद इसके टीम इंडिया जीत नहीं पाई.
इस हार की वजह से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने का रास्ता भी टीम इंडिया के लिए काफी मुश्किल होता जाएगा. भारत को अब श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश जैसी टीम के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है. लेकिन अब हर एक मैच का नतीजा भारत के लिए बहुत निर्णायक हो गया है. सवाल ये है कि इस हार को क्या नाम दिया जाए, इसके लिए बल्लेबाज और कप्तान के तौर पर विराट कोहली को कितना जिम्मेदार ठहराया जाए.
विराट कोहली से बतौर बल्लेबाज कहां हुई चूक?
जोहानिसबर्ग टेस्ट में विराट कोहली फिटनेस की वजह से नहीं खेल पाए थे. केपटाउन टेस्ट के लिए उन्होंने टीम में वापसी की. पहली पारी में उन्होंने 79 रन बनाए. भारतीय टीम की तरफ से ये सबसे बड़ा स्कोर था. लेकिन खास बात थी कि उन्होंने 79 रन बनाने के लिए 201 गेंद खेली. ये सच है कि विराट कोहली मुश्किल परिस्थितियों में बल्लेबाजी कर रहे थे. एक तो विकेट मुश्किल खेल रहा था दूसरा विकेट के दूसरे छोर पर उनका साथ देने वाला कोई नहीं था. भारत को पहली पारी में 13 रन की बढ़त मिल गई. दूसरी पारी में अगर भारतीय टीम ने ढाई सौ रन भी बनाए होते तो कहानी कुछ और होती. लेकिन भारतीय टीम 198 रन ही बना पाई.
इस बार भी विराट कोहली ने क्रीज पर काफी वक्त बिताया. उन्होंने 143 गेंद खेली. तीन घंटे से ज्यादा बल्लेबाजी की लेकिन रन बनाए सिर्फ 29. ये विराट का स्वाभाविक खेल नहीं था.
लगातार इस बारे में चर्चा हुई कि क्या विराट कोहली 'शेल' में चले गए? क्या विराट कोहली ओवर डिफेंसिव या अति रक्षात्मक हो गए? हालत ये हो गई कि विराट कोहली उन गेंदों पर भी रक्षात्मक शॉट खेलते नजर आए जिस पर वो रन बना सकते थे. कगिसो रबाडा या लुंगी एंगिडी की तो बात छोड़िए विराट कोहली ने केशव महाराज की गेंद पर भी अपना रक्षात्मक खेल जारी रखा. कुछ साल पहले बल्लेबाजी का जो अंदाज चेतेश्वर पुजारा का हुआ करता था विराट कोहली बिल्कुल उसी अंदाज में खेले.
विराट से कप्तानी में भी हुई गलती
केपटाउन टेस्ट के चौथे दिन लंच के बाद जब दक्षिण अफ्रीका की टीम बल्लेबाजी करने उतरी तो उसे जीत के लिए 41 रन की जरूरत थी. भारतीय टीम ने दूसरी पारी में 50 रन के भीतर भीतर 6 विकेट गवाए थे. यानी 41 रन बनाना भी इतना आसान नहीं था. लेकिन विराट कोहली ने लंच के बाद आर अश्विन और उमेश यादव से गेंदबाजी कराई. ये टेस्ट मैच में करो या मरो का सेशन था. बेहतर होता कि विराट कोहली ने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी से गेंदबाजी कराई होती.
टेस्ट मैच का आज खत्म होना तय था. यानी इसके बाद चार पांच दिन का आराम तेज गेंदबाजों को मिलना ही था. बुमराह और शमी दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों का कड़ा इम्तिहान ले रहे थे लेकिन विराट कोहली ने अश्विन और उमेश यादव को गेंद सौंप कर दक्षिण अफ्रीकी टीम के लिए रास्ता आसान कर दिया. उस समय कॉमेंट्री कर रहे गौतम गंभीर ने भी विराट कोहली के इस फैसले पर आश्चर्य जताया. बात साफ है, बतौर बल्लेबाज और बतौर कप्तान विराट कोहली के प्रदर्शन पर अब पैनी निगाहें रहेंगी.
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