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दिव्याहिमाचल. छात्र करियर के दो संगम पिछले दिनों उभरे तो मालूम हुआ कि एनआईटी हमीरपुर के 330 छात्रों की प्लेसमेंट का रिकार्ड दर्ज हुआ, तो दूसरी ओर केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रिंट मीडिया में उज्ज्वल भविष्य दिखाता हुआ इस मुगालते में है कि वर्तमान दौर में पत्रकारिता का व्यावसायिक पहलू किसी मांग में है। शिक्षा में आजीविका खोजता हिमाचल आज ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि तमाम सरकारी शिक्षण संस्थान कोरे कागज बने हुए हैं। एनआईटी हमीरपुर, आईआईटी मंडी और इक्का-दुक्का निजी विश्वविद्यालयों को छोड़कर सरकारी शिक्षा के दरवाजे अब नौकरी के लिए छोटे पड़ गए हैं। एनआईटी की छात्रा सभ्या सूद को मिला 1.09 करोड़ का पैकेज या एक साथ 11 छात्रों का एमजॉन में प्रवेश अगर हमीरपुर का एक संस्थान करवा सकता है, तो बाकी सैकड़ों राज्य स्तरीय शिक्षण संस्थानों का अवमूल्यन क्यों। क्या हमीरपुर तकनीकी विश्वविद्यालय के अस्तित्व में ऐसी खूबी दर्ज होगी या इसके तहत दर्जनों इंजीनियरिंग कालेज उजड़ रहे हैं, तो विचार यह करना होगा कि राज्य में किस स्तर का मानव संसाधन पैदा हो रहा है। ताज्जुब यह कि केंद्रीय विश्वविद्यालय पत्रकारिता के हलक में उपाधियों की खुराक का मुआयना करते हुए यह विश्वास प्रकट कर रहा है कि यूं ही कोई छात्र मीडिया की हर संभावना के काबिल हो जाएगा।