सम्पादकीय

आपकी राजनीति क्या है?

Triveni
24 Jun 2021 4:00 AM GMT
आपकी राजनीति क्या है?
x
मीडिया को मसाला मिल गया है। शरद पवार के घर पर कई विपक्षी नेताओं और कुछ जानी-मानी शख्सियतों की बैठक से कयासों के दौर अभी कई रोज चलेंगे।

मीडिया को मसाला मिल गया है। शरद पवार के घर पर कई विपक्षी नेताओं और कुछ जानी-मानी शख्सियतों की बैठक से कयासों के दौर अभी कई रोज चलेंगे। तीसरा मोर्चा- चौथा मोर्चा जैसी चर्चाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैँ। ये बैठक एनसीपी सुप्रीमो की चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो मुलाकातों के बाद हो रही है, तो जाहिर इसमें मसाला और भी पड़ा है। हालांकि किशोर ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में यह साफ कहा कि उनकी राय में तीसरा मोर्चा एक नाकाम प्रयोग है। ऐसी कोशिश भारतीय जनता पार्टी को पराजित करने में सफल नहीं होगी। लेकिन ऐसे प्रयासों से किशोर के नाम जुड़ते रहे हैँ। पिछले साल बिहार चुनाव के पहले भी ऐसी चर्चाएं मीडिया में जोरों पर थीं कि किशोर यशवंत सिन्हा और कन्हैया कुमार के साथ मिल कर बिहार में तीसरा विकल्प तैयार करने की कोशिश में हैं। नतीजा सिफर रहा। अब दिल्ली की बैठक में उनकी कितनी भूमिका है, यह भी कयास का ही विषय है। लेकिन ऐसी बैठकें कुछ हासिल करेगी, यह मानने की कोई वजह नहीं हो सकती।

इसका कारण यह नहीं है कि इस प्रयास के पीछे भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी की अप्रसांगिक सोच है। बल्कि असल वजह यह है कि सिर्फ चेहरों के साथ अगर राजनीति करनी हो, वह भी राज्य स्तरीय चेहरों को सामने रख कर तो राष्ट्रीय स्तर पर उसका कोई असर नहीं होगा। कोरोना महामारी के कारण नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल जरूर हुई है, लेकिन आज भी वे विपक्ष के तमाम क्षत्रप चेहरों से कहीं बहुत ज्यादा शक्तिशाली चेहरा हैं। बेशक मोदी भाजपा की आज बहुत बड़ी ताकत हैँ। लेकिन भाजपा को हाल के वर्षों में जीत की मुख्य वजह सिर्फ उनकी ताकत नहीं है। बल्कि भाजपा इसलिए जीतती क्योंकि उसके पास एक खास राजनीति है। ये राजनीति हिंदुत्व या दमित हिंदू भावनाओं की अभिव्यक्ति देने वाली ताकत के रूप में है। सवाल है कि पवार के घर पर जुटे नेताओं की क्या राजनीति है? दरअसल, कांग्रेस की भी आज मुश्किल यही है कि उसकी राजनीतिक दृष्टि देश की जनता के सामने साफ नहीं है। आज ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है, जो व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी को पसंद करने लगे हैं। लेकिन बात पार्टी और उसकी सियासत की आती है, तो उन्हें भरोसा करने लायक कुछ नहीं मिलता। पवार एंड कंपनी के साथ ये बात कांग्रेस से भी ज्यादा लागू होती है


Next Story