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- जनतंत्र के हत्यारों के...
अजय झा .
भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) एन.वी. रमना (N V Ramana) ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक महत्वपूर्ण बात कही है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस रमना ने संसद में बिना डिबेट के किसी कानून को मंजूरी देने की प्रवृत्ति पर दुख जताते हुए कहा कि डिबेट नहीं होने के कारण भारत के नए कानूनों में कुछ गलतियां आ रही हैं. किसी नए प्रस्तावित कानून का बिल सरकार द्वारा बनाया जाता है. संसद से बिल पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्वारा उस बिल का अनुमोदन और हस्ताक्षर होने के बाद ही वह देश का कानून बनता है. संसद में किसी बिल पर बहस का प्रावधान है, जिसमें विपक्ष उस कानून की कमियों पर प्रकाश डालता है और उसमे संशोधन की मांग करता है. अगर विपक्ष की चिंता वाजिब होती है तो बिल में संशोधन कर के पास किया जाता है. पर धीरे-धीरे पिछले कई वर्षों से इस प्रथा का अंत होता जा रहा है, जो अत्यंत दुखद है.
#WATCH | CJI Ramana says, "If you see debates which used to take place in Houses in those days, they used to be very wise, constructive...Now, sorry state of affairs...There's no clarity in laws. It's creating lot of litigation&loss to govt as well as inconvenience to public..." pic.twitter.com/8Ca80rt8wC
— ANI (@ANI) August 15, 2021