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- ऐसी विधायिका की क्या...
संसद का मॉनसून सत्र खत्म होने वाला है। शुक्रवार 13 अगस्त को सत्र का आखिरी दिन होगा और अभी तक संसद में आम लोगों से जुड़े किसी भी एक मसले पर एक मिनट की भी चर्चा नहीं हुई है। देश की आम जनता महंगाई से त्रस्त है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के सिलिंडर से लेकर खाने-पीने तक की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं लेकिन संसद में इस पर चर्चा नहीं हुई है। बेरोजगारी की दर उच्चतम सीमा पर है। ताजा आंकड़े के मुताबिक जुलाई में यह आठ फीसदी से ऊपर थी। देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा हुआ है। बैंकों के पैसे डूब रहे हैं। देश के आधे से ज्यादा हिस्से में बारिश और बाढ़ की त्रासदी है। औसतन 40 हजार कोरोना के मरीज हर दिन मिल रहे हैं और वैक्सीनेशन का अभियान घसीट-घसीट कर आगे बढ़ रहा है। स्कूल-कॉलेज बंद हैं और घरों में बंद बच्चे मानसिक अवसाद का शिकार हो रहे हैं। देश के किसान केंद्र के बनाए कृषि कानूनों के खिलाफ साढ़े आठ महीने से आंदोलन कर रहे हैं और हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हैं। चीन भारत की सीमा में घुस कर बैठा है और सीमा पर करीब डेढ़ साल से तनाव की स्थिति है। लेकिन इनमें से किसी भी मसले पर अभी तक संसद में चर्चा नहीं हुई है।