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कांग्रेस के 'नव संकल्प शिविर' में सब कुछ पुराना ही रहा। पुराने संकल्पों और कार्यक्रमों को ही नए सिरे से शुरू करने की घोषणाएं की गईं। पार्टी के छाया-अध्यक्ष राहुल गांधी ने क्षेत्रीय दलों की तुलना में कांग्रेस की विचारधारा को बेहतर करार दिया और दावा किया कि संघ और भाजपा के खिलाफ कांग्रेस ही राजनीतिक लड़ाई लड़ सकती है। क्षेत्रीय दलों की तो कोई विचारधारा ही नहीं है। यह दावा कांग्रेस की गठबंधन राजनीति पर वज्रपात कर सकता है। सवाल है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस की किस विचारधारा की बात की है? समाजवाद, गुटनिरपेक्ष, साम्यवाद, मंदिरवादी या मस्जिदवादी…? राहुल स्पष्ट करें, तो बेहतर होगा। अलबत्ता 2019 के लोकसभा चुनाव की करारी पराजय के बाद कांग्रेस लगातार चुनाव हारती आई है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, टीआरएस, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल, झामुमो आदि क्षेत्रीय दलों ने अपने राजनीतिक उद्घोष और मुद्दों के बल पर चुनाव जीते और सरकारें बनाई हैं। कुछ राज्यों में तो कांग्रेस की स्थिति 'शून्य' है। अधिकतर मुकाबलों में दलों ने भाजपा को हराया है। ओडिशा में नवीन पटनायक बीते 20 सालों से अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं। बुनियादी लड़ाई भाजपा के खिलाफ है। कांग्रेस तो हाशिए पर पड़ी पार्टी है। इन राज्यों में कौन-सी विचारधारा काम कर रही है? हाल के चुनावों में कांग्रेस ने पंजाब में अपनी सरकार बुरी तरह हारी है, मुख्यमंत्री दोनों सीटों पर पराजित हुए, लेकिन 'आप' जैसे छोटे क्षेत्रीय दल को ऐतिहासिक, प्रचंड जनादेश मिला है।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल
