सम्पादकीय

छापों की साख क्या?

Gulabi
20 Sep 2021 5:47 AM GMT
छापों की साख क्या?
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अब तो ये आम धारणा बन चुकी है कि जो भी सरकार के खिलाफ बोलेगा या दिखेगा

अब छापा पड़ता है, तो यही धारणा बनती है कि ये व्यक्ति के सत्ता प्रतिष्ठान के साथ नहीं है। इस रूप में समाज के एक हलके में उसकी छवि बेहतर ही बनती है। अभिनेत्री तापसी पन्नू के यहां पड़े आय कर विभाग के छापे अभी सबको याद ही हैं, जब इस दायरे में अभिनेता सोनू सूद भी आ गए। taapsee pannu sonu sood


अब तो ये आम धारणा बन चुकी है कि जो भी सरकार के खिलाफ बोलेगा या दिखेगा, उस पर सरकारी एजेंसियों के छापे पड़ेंगे। इसलिए धीरे-धीरे छापों ने ही अपनी साख खो दी है। एक समय था, जब छापे किसी व्यक्ति की छवि खराब करते थे। उसको लेकर समाज में एक शक पैदा हो जाता था। लेकिन अब छापा पड़ता है, तो यही धारणा बनती है कि ये व्यक्ति के सत्ता प्रतिष्ठान के साथ नहीं है। इस रूप में समाज के एक हलके में उसकी छवि बेहतर ही बनती है। अभिनेत्री तापसी पन्नू के यहां पड़े आय कर विभाग के छापे अभी सबको याद ही हैं, जब इस दायरे में अभिनेता सोनू सूद भी आ गए।

तापसी पन्नू पहले सामाजिक मसलों और किसान आंदोलन जैसे राजनीतिक पहलू पर खुल कर अपनी राय जताती थीं। सोनू सूद के बारे में तो वह भी नहीं कहा जा सकता। उनके साथ सिर्फ एक बात है कि लॉकडाउन के दौरान फंसे लोगों की मदद कर उन्होंने प्रतिष्ठा बनाई और उस प्रतिष्ठा को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के ब्रांड अंबेडसर बनने पर राजी हो गए। और जब सरकारी एजेंसियां सोनू सूद को नहीं छोड़ रही हैं, तो फिर सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर या सरकार विरोधी मीडिया की छवि रखने वाले न्यूजक्लिक की क्या बात की जाए।

बहरहाल, इनके बीच ताजा निशाना बने मंदर हैं, जिनके नई दिल्ली स्थित घर, उनकी संस्था सेंटर फॉर एक्विटी स्टडीज के दफ्तर और उनके द्वारा चलाए जाने वाले एक बाल गृह पर छापे मारे गए। छापे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंदर की अनुपस्थिति में मारे। 2020 में राष्ट्रीय बाल आयोग ने मंदर से जुड़े दो बाल गृहों पर छापे मारे थे। आयोग का आरोप था कि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर, फंडिंग और लाइसेसं से जुड़ी कई अनियमितताएं पाई गईं। आयोग के मुताबिक इन केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन भी नहीं हो रहा था। तो सवाल है कि जब इन बातों के साक्ष्य आयोग को मिल गए, तो उसे कार्रवाई करनी चाहिए थी। दोबारा छापों का क्या औचित्य है? अब इस आरोप भी जरूर गौर कर लिया जाना चाहिए कि इन बाल गृहों से बच्चों को नागरिकता कानून के विरोध में आयोजित किए गए प्रदर्शनों में भी ले जाया गया था। यह कितना बड़ा अपराध है, अब यह खुद आप फैसला कर सकते हैं।
नया इंडिया

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