सम्पादकीय

आम बजट में किसानों की प्रगति के लिए क्‍या है स्पष्ट संदेश

Gulabi
2 Feb 2022 4:38 PM GMT
आम बजट में किसानों की प्रगति के लिए क्‍या है स्पष्ट संदेश
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किसानों की प्रगति के लिए क्‍या है स्पष्ट संदेश
हर्ष वर्धन त्रिपाठी। बजट से ठीक पहले टीवी चैनलों पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि बढ़ाने की खबरों का अनुमान अधिकतर रिपोर्टर और विश्लेषक करने लगे थे। विश्लेषक बता रहे थे कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में नाराज किसानों को संतुष्ट करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार ऐसा कर सकती है। हालांकि मुझे पूरा भरोसा था कि मोदी सरकार के बजट में ऐसी लोकलुभावन घोषणा नहीं होने वाली है और मेरा मानना है कि यह अर्थशास्त्र के लिहाज से बेहद खराब होता और इससे राजनीतिक लाभ भी बमुश्किल मिलता है। अच्छा हुआ कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्षणिक चुनावी लाभ के लोभ में नहीं फंसे और किसानों के हाथ में जाने वाली रकम बढ़ाने के बजाय किसानों को मजबूत करने वाले निर्णय लिए। कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह से देश के 90 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसानों के हित वाले कृषि कानूनों को लागू करें। सीधे तौर पर उन कृषि कानूनों को लागू करना जोखिम भरा है, इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसी रास्ते पर चले, जिसके लिए उनकी पहचान है। और वह रास्ता है, लंबे समय में बेहतर परिणाम देने वाले निर्णयों को बिना झिझक लागू करना।
कर्ज माफी, सब्सिडी और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी जैसे शब्द बजट में सुनने को नहीं मिले तो किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने उनसे आंदोलन का बदला लिया है। अब सवाल यही है कि क्या इस बजट में किसानों के लिए कुछ भी नहीं है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों से आंदोलन करने का बदला लिया है। इसका जवाब बजट में की गई पांच बड़ी घोषणाओं से स्पष्ट हो जाता है। पहला- एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद, दूसरा- पराली जलाने से रोकने पर सरकार की प्रतिबद्धता, तीसरा- आधुनिक ड्रोन तकनीक के जरिये किसानों की फसल का अनुमान लगाने, भूमि रिकार्ड पुख्ता करने और खेती से जुड़ी दूसरी आवश्यकताओं की पूर्ति करना, चौथा- गंगा के किनारे पांच किलोमीटर के दायरे में रसायन रहित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना और पांचवां- खेती से जुड़े स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड के जरिये आर्थिक सहयोग देकर नौजवान किसानों को आधुनिक कृषि बाजार तैयार करने के लिए प्रेरित करना।
बजट में वित्त मंत्री ने बताया कि 2.37 लाख करोड़ रुपये सरकारी खरीद से किसानों के खाते में सीधे पहुंचे हैं और इससे 1.63 करोड़ किसानों को लाभ हुआ है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट में ढाई लाख करोड़ रुपये एमएसपी खरीद के लिए सरकार ने प्रविधान किया है। अब किसानों के सामने स्पष्टता है कि सरकार कितने की खरीद एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक करने जा रही है, इससे किसानों के लिए अपनी फसल उसी लिहाज से उगाने का अवसर है। एमएसपी वाली उपज देश भर में ढाई लाख करोड़ रुपये की ही खरीदी जानी है। अब किसान चाहें तो इसके लिहाज से गेहूं और धान के अतिरिक्त दूसरी उपज की योजना तैयार कर सकते हैं। पराली का उपयोग थर्मल पावर प्लांट में करने की सरकार की घोषणा से किसानों को भी लाभ मिलेगा और पर्यावरण भी बेहतर हो सकेगा। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच से सात प्रतिशत बायोमास पेलेट थर्मल पावर प्लांट में उपयोग की बात कही है।
कृषि में ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए चमत्कारिक तौर पर लाभकारी हो सकता है। कम लागत में खेती से जुड़ी आवश्यकताओं की पूर्ति ड्रोन के जरिये हो सकेगी।
अब तक गंगा के किनारे के इलाके खेती के लिहाज से बहुत उपयोगी नहीं रहे हैं, लेकिन रसायन रहित प्राकृतिक खेती के जरिये इन क्षेत्रों में रहने वाले किसानों को लाभ मिल सकता है। खेती के स्टार्टअप नाबार्ड के जरिये बढ़ावा देने का बजट का एलान नौजवानों को खेती के क्षेत्र में नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित करेगा। कृषि कानूनों को बिना लागू किए सरकार डिजिटल खेती को बढ़ावा देकर दरअसल कृषि कानूनों के लाभ किसानों को देना चाहती है, लेकिन इन पांचों घोषणाओं से अलग खेती-किसानी के लिए प्राणवायु घोषणा है केन-बेतवा नदी को जोडऩे की परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए बजट में किया गया 1400 करोड़ रुपये का प्रविधान।
केन-बेतवा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में किसानों और खेतों के लिए संजीवनी का काम करेगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका सपना देखा था। अब मोदी सरकार उस सपने को वास्तविकता में परिवर्तित करने जा रही है। केन का पानी बेतवा में लाने की यह योजना बुंदेलखंड के किसानों का जीवन बदल देगी। बुंदेलखंड को जल संकट से उबारने के लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार ने लगातार काम किया है और अब केन-बेतवा परियोजना वहां के लोगों और किसानों के लिए बहुत बड़ी सौगात है। वर्ष 2021 बीतते मोदी सरकार ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश के लगभग 30 लाख किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने वाली सरयू राष्ट्रीय नहर परियोजना पूरी की है, उससे मोदी सरकार पर इस तरह की परियोजना को पूरा करने का भरोसा बढ़ा है।
केन-बेतवा परियोजना पर लगभग 45 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है और इसे आठ वर्षों में पूरा किया जाना है। परियोजना पूरी होने के बाद नौ लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी, 62 लाख लोगों को पीने का पानी मिल सकेगा। केन-बेतवा परियोजना को तेजी से लागू करने के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पांच नदियों को जोडऩे के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का भी एलान किया है।
अराजक कृषि कानून विरोधी आंदोलन की वजह से भले नरेन्द्र मोदी ने आधुनिक कृषि कानूनों को वापस ले लिया, लेकिन इस बजट से स्पष्ट हो गया है कि मोदी सरकार किसानों की मूलभूत समस्याओं को दूर करने पर निरंतर काम करती रहेगी और किसानों को सरकार के भरोसे नहीं, आत्मनिर्भर होने की दिशा में मजबूत करने केनिर्णय लेती रहेगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )
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