सम्पादकीय

महाराष्ट्र की राजनीति में चल क्या रहा है? पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद शरद पवार उद्धव ठाकरे से तो फडणवीस राज्यपाल से मिले

Rani Sahu
11 March 2022 5:46 PM GMT
महाराष्ट्र की राजनीति में चल क्या रहा है? पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद शरद पवार उद्धव ठाकरे से तो फडणवीस राज्यपाल से मिले
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पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद शरद पवार उद्धव ठाकरे से तो फडणवीस राज्यपाल से मिले

शमित सिन्हा

पांच राज्यों के चुनाव नतीजे (Assembly Election Results) आने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के वर्षा बंगले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) की मौजूदगी में महा विकास आघाडी (Maha Vikas Aghadi) की एक अहम बैठक हुई, प्राप्त जानकारियों के मुताबिक इस बैठक में अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) के इस्तीफे को लेकर मंथन हुआ. बीजेपी ने तय किया हुआ है कि नवाब मलिक का इस्तीफा लिए बिना मानेगी नहीं. महा विकास आघाडी इस बात पर अड़ी हुई है कि जब नारायण राणे की गिरफ्तारी हुई थी तब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो नवाब मलिक की गिरफ्तारी के बाद उनका इस्तीफा क्यों लिया जाए. इस पर खुद नारायण राणे का कहना है कि नवाब मलिक पर दाउद इब्राहिम और मुंबई बम ब्लास्ट से संबंधित लोगों से जमीन खरीदने का आरोप है. उन पर ऐसे आरोप नहीं थे. इस बीच देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से मिलने राज भवन पहुंचे. पत्रकारों ने राजभवन के गेट के बाहर उनसे मिलने आने की वजह पूछी. जवाब में फडणवीस ने बस इतना कहा कि कोई राजनीतिक वजह नहीं है. वे एक इन्विटेशन देने आए हैं.
इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के आने के बाद अलग-अलग जो बयान दिए हैं, वे गौर करने लाएक हैं. गुरुवार को ही जब उनसे पत्रकारों ने यह पूछा कि महाराष्ट्र की सरकार गिरने वाली है क्या? फडणवीस ने कहा कि बीजेपी इसके लिए कोशिश नहीं कर रही है. लेकिन अपने अंतर्विरोध की वजह से अगर यह सरकार गिरती है तो बीजेपी विकल्प देने के लिए तैयार बैठी है. इसके बाद शुक्रवार की सुबह बीजेपी के गोवा प्रभारी होने की वजह से बीजेपी की जीत को लेकर कार्यकर्ताओं ने उनका मुंबई में जोरदार स्वागत किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सिर्फ आज रात भर जश्न चलेगा बस. इसके बाद अब लड़ाई मुंबई महानगरपालिका चुनाव की शुरू होगी. फिर वे वहां से विधानसभा के बजट सेशन में भाग लेने पहुंचे तो वहां पत्रकारों से कहा कि अत्याचारियों और दुराचारियों की सरकार के खिलाफ 2024 में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने फिर कहा कि सत्ता पक्ष नहीं झुकेगा… तो बम फटेगा
इस बीच बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील के स्टेटमेंट पर भी ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कुछ दिनों पहले यह बयान दिया था कि 10 मार्च के बाद महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार गिर जाएगी. गुरुवार को चुनाव नतीजे सामने आने के बाद उन्होंने अपनी यह बात याद दिलाई है. उन्होंने कहा है कि, अब तक वे जैसा-जैसा कहते आए हैं और जब-जब कहते आए हैं तब-तब, वैसे-वैसे बम फटते रहे हैं. अगर उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे को अपना भविष्य ठीक रखना है तो संजय राउत को कंट्रोल करना पड़ेगा. संजय राउत तो कल को कभी भी शिवसेना का मुखपत्र सामना छोड़ कर कहीं और निकल लेंगे. उद्धव ठाकरे-आदित्य ठाकरे कहां जाएंगे? दूसरी बात वे महा विकास आघाडी की सलामती के लिए चेतावनी देते हैं कि नवाब मलिक के इस्तीफे के बिना बीजेपी चुप बैठने वाली नहीं है.
'महाराष्ट्र में सत्ता का बदलना अटल है'- पर कब? यह कहना नहीं सरल है
फडणवीस के सारे बयानों का तारतम्य बिठाया जाए तो वे तीन बातें कह रहे हैं. एक, बीजेपी सरकार गिराने की कोशिश नहीं करेगी, लेकिन सरकार गिरी तो विकल्प देने में देरी नहीं करेगी. दो, फिलहाल फोकस मुंबई महानगरपालिका पर करना है. यानी अगले छह महीने तक बीजेपी का ध्यान बीएमसी के चुनाव पर रहेगा. तब तक सरकार को बदनाम करने की कोशिशें शुरू रह सकती हैं, गिराने की शायद नहीं. तीन, 2024 में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. इससे भी यह साफ होता है कि फिलहाल सरकार गिराने की कोशिशों पर ध्यान नहीं है. लेकिन चंद्रकांत पाटील की कही बातों में सरकार गिराने वाली चेतावनी संकेत छुपे हैं.
सवाल और भी कई हैं? एक सवाल तो यह कि क्या नवाब मलिक के इस्तीफे के बाद महा विकास आघाडी के लिए मामला सेटल हो जाएगा? तो जवाब है नहीं. संजय राठोड़ के इस्तीफे के बाद, अनिल देशमुख का इस्तीफा हुआ, अनिल देशमुख के बाद नवाब मलिक का इस्तीफा होगा तो फिर अनिल परब, संजय राउत या और भी कई लोग हैं, किसी का भी नंबर आ सकता है. बीजेपी नेता किरीट सोमैया भरी सभा में कह चुके हैं कि आधा दर्जन मंत्री जेल जाने वाले हैं. गौर करें तो देवेंद्र फडणवीस की कही मूल बात यही है कि महाराष्ट्र में सत्तांतरण अटल है. लेकिन कब? टाइमिंग बताना नहीं सरल है.
पवार की एक चीज नहीं बदलती, वो कभी भी बदल सकते हैं
वैसे भी पवार कहना आखिर में समझना जरूरी है. शरद पवार चुनाव नतीजों के बाद कहा है कि अब केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ देश की साऱी शक्तियां इकट्ठी हो जाएं. लेकिन पवार के व्यक्तित्व में सब कुछ बदल सकता है. एक बात नहीं बदलती है. वो यह कि पवार कभी भी बदल सकते हैं. पवार जो बोलते हैं वो करते नहीं, जो करते हैं वो बोलते नहीं. महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वाले यह जानते हैं. तो क्या एनसीपी और बीजेपी साथ आएगी, शिवसेना किनारे लग जाएगी? फिलहाल तो यह कयास है. लेकिन जब अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने आधी रात में इसी राज्यपाल के सामने शपथ ग्रहण किया था, तब उससे पहले भी लोगों ने ऐसी बातों को कयास बताया था.
पवार रहते हैं सत्ता के साथ भी, सत्ता के बाद भी
पवार के बारे में कोई भी पक्के तौर पर कुछ कहे तो समझिए संबंधित व्यक्ति की राजनीति की समझ कच्ची है. लेकिन पवार के बारे में एक बात तो पक्की है. पवार हमेशा हवाओं के रुख को पकड़ कर चलते हैं. 2014 के चुनाव के बाद उन्होंने शिवसेना से पहले ही बीजेपी को बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया था. शिवसेना की बारगेनिंग की संभावनाओं को खत्म कर दिया था. पवार रहते हैं सत्ता के साथ भी, सत्ता के बाद भी. वे सत्ता से दूर नहीं रह सकते. फिलहाल पांच राज्यों में चुनावों के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए हैं. कुछ ही दिनों में यह दिखेगा कि एनसीपी और बीजेपी के बीच दूरियां नजदीकियां बन गई. वह सत्ता में साझेदारी तक पहुंचेगी कि नहीं, यह देखने वाली बात होगी. केंद्रीय एजेंसियों की मार से बचने के लिए टेस्ट मैच की तरह विकेट बचाते हुए गेम को पांच साल तक पूरा कर ले जाना है या टी ट्वेंटी की तरह हवाओं को भांपते हुए तुरंत मैच का रुख पलटना है. ना जाने पवार ने अब क्या ठाना है, यह उनको ही मालूम है. उनकी राजनीति को आज तक किसने जाना है?
Rani Sahu

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