- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- विकास किसे कहें
दिव्याहिमाचल .
हिमाचल प्रदेश के उपचुनाव अपने सहज भाव को प्रचार की अति में झेलते हुए, ऐसे मुद्दों को लिख रहे हैं, जो प्रायः बहस का विषय नहीं बनते। अब कांग्रेस बनाम भाजपा के बीच विकास अड़ गया है। सवाल विपक्ष जिस लहजे में पूछता है, उससे भिन्न विकास का प्रति उत्तर सत्तारूढ़ दल दे रहा है। इनका विकास, उनका विकास आखिर राज्य का विकास कब होगा। कब हम विकास की निरंतरता में सियासी जोखिम को दरकिनार करेंगे। स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी विकास की परिपाटी में उपचुनावों को तोल रहे हंै, तो स्वाभाविक रूप से विपक्ष की नजरों में इसकी आना-पाई हो रही है। यानी कांग्रेस उपचुनावों के दाने चुनते हुए यह देख रही है कि मंडी का विकास कांगड़ा के फतेहपुर, सोलन के अर्की या शिमला के जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्रों में एक जैसा नहीं है। अब सवाल यह है कि अगर हिमाचल का विकास नहीं हुआ, तो विकास किसे कहते हैं। हिमाचल ने केरल और तमिलनाडु के साथ संयुक्त राष्ट्र के समावेशी विकास लक्ष्यों को हासिल किया है। नीति आयोग 2030 तक सभी राज्यों में विकास के फलक पर सामाजिक तरक्की का आकलन कर रहा है, जहां हिमाचल ने पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता, असमानता खत्म करने तथा पर्वतीय ईको सिस्टम के संरक्षण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।