सम्पादकीय

क्या कहते हैं एग्जिट पोल? विपक्ष की तुलना में बीजेपी के लिए बड़ी चिंता, विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट

Rani Sahu
8 March 2022 2:08 PM GMT
क्या कहते हैं एग्जिट पोल? विपक्ष की तुलना में बीजेपी के लिए बड़ी चिंता, विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट
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आइए एग्जिट पोल (Exit Poll) पर अविश्वास से शुरुआत करते हैं

राकेश दीक्षित

आइए एग्जिट पोल (Exit Poll) पर अविश्वास से शुरुआत करते हैं. सबसे पहली बात तो ये कि भारत में एग्जिट और ओपिनियन पोल में त्रूटियों का लंबा इतिहास रहा है, खास कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में. 2004 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Election) तक हुए एग्जिट पोल की बात करें, तो 90 प्रतिशत एग्जिट पोल गलत साबित हुए. इसका बकायदा रिकॉर्ड है 2004 के बाद से हर एक एग्जिट पोल, जो पूरी तरह गलत साबित हुए, उनमें भाजपा (BJP) के शानदार प्रदर्शन की भविष्यवाणी की गई थी, जो नतीजे आने के बाद उस हद तक सही साबित नहीं हुई. इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि 10 मार्च को चुनाव परिणाम आने पर एग्जिट पोल एक बार फिर अपने पुराने इतिहास को दोहरा सकता है.
पिछली गलतियों से सबक सीखते हुए इस बार पांच राज्यों में संभावित नतीजों का ज्यादा सटीक अनुमान देने की कोशिश इन एग्जिट पोल में की गई है. इनके मुताबिक इस बार भाजपा अजेय दिखाई नहीं दे रही है. वास्तव में ज्यादातर एग्जिट पोल में पांच राज्यों में बीजेपी की सीटों में कमी का अनुमान लगाया गया है. अगर ये एग्जिट पोल सही निकलते हैं, तो उत्तराखंड में सत्ताधारी भाजपा को बड़ी संख्या में सीटें गंवानी पड़ सकती हैं. कुछ एग्जिट पोल ने तो कांग्रेस की वापसी की भविष्यवाणी भी कर दी है.
एग्जिट पोल कांग्रेस को बीजेपी से आगे दिखा रहे
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी से बीजेपी को कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल इस ओर साफ इशारा कर रहे हैं कि पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के उससे अलग होने से पंजाब में भाजपा को भारी नुकसान होने की संभावना है. गोवा में ज्यादातर एग्जिट पोल कांग्रेस को भाजपा से आगे दिखा रहे हैं. मणिपुर की राजनीति विचारधारा की जगह अवसरवाद के लिए जानी जाती है. एग्जिट पोल के मुताबिक इस दूसरे सबसे बड़े पूर्वोत्तर राज्य में, भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए क्षेत्रीय संगठनों का सहारा लेना पड़ सकता है. इसे कांग्रेस की तुलना में भाजपा के ज्यादा लोकप्रिय होने का संकेत नहीं माना जा सकता है.
अब आते हैं सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश पर. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की लहर ने 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में 312 सीटें जीती थी. उत्तर प्रदेश में उसकी मुख्य प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी 47 सीटों पर सिमट गई थी. एग्जिट पोल ने इस बार बीजेपी को 50 से 100 सीटों के नुकसान होने का अनुमान लगाया है. जिसका सीधा फायदा अखिलेश यादव की पार्टी को मिलता दिख रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी ने जैसा शानदार प्रदर्शन किया था इस बार उसे दोहराने में पार्टी कामयाब होती नजर नहीं आ रही है.
उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस से ज्यादा उम्मीद नहीं है, इसलिए उसकी सीटों में कमी होने का अनुमान हैरान नहीं कर रहा. बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) की सीटों में भी कमी का अनुमान है. लेकिन पिछली बार 19 सीटें जीतने वाली मायावती की पार्टी के सीटों के गिरने से भाजपा को फायदा मिलते नहीं दिख रहा.2017 के चुनाव में 19 सीटें जीतने वाली बसपा एग्जिट पोल के अनुमान के अनुसार इस बार कम से कम अपनी 10 सीटें हार सकती है, लेकिन इसका फायदा भाजपा को नहीं होगा जिसे खुद पिछले चुनाव की तुलना में बहुत कम सीटें मिलती दिख रही हैं.
तो एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक: मणिपुर में, भाजपा को थोड़ी बढ़त मिलती दिख रही है लेकिन स्पष्ट बहुमत मिलना उसके लिए अभी भी मुश्किल है; पंजाब में भी उसका प्रदर्शन और नीचे गिरने की उम्मीद है; गोवा में, यह अपनी सरकार को बचाने में कामयाब हो भी सकती है और नहीं भी; उत्तराखंड में, भाजपा के सत्ता खोने की संभावना उसके बने रहने से कहीं ज्यादा है; और उत्तर प्रदेश में, यह अपनी घटी हुई सीटों के साथ सत्ता बरकरार रखने में कामयाब हो सकती है.यह एग्जिट पोल भाजपा को खुश होने का मौका देते नहीं दिख रहा. भाजपा के लिए यह एक बुरी स्थिति है जो पिछले पांच सालों में एक के बाद एक विधानसभा चुनाव हार रही है.
कर्नाटक में पूर्ण बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रही सरकार
यह शिवसेना के नेतृत्व वाले गठबंधन से महाराष्ट्र में हार गई, हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर हो गई और बिहार में अपने सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) से मजबूत स्थिति होने पर भी उसकी छोटी सहयोगी पार्टी बनी रही. पार्टी मध्य प्रदेश और कर्नाटक में पूर्ण बहुमत हासिल करने में नाकामयाब रही. लेकिन जोड़-तोड़ की राजनीति से दोनों राज्यों में सत्ता में वापस आ गई. दिसंबर 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी, कांग्रेस ने भाजपा की सीटें कम करके अपनी सीटों में काफी इजाफा किया था.
तो ये माना जा सकता है कि एग्जिट पोल के नतीजे पिछले नतीजों की तुलना में इस बार वास्तविकता के करीब हैं – यह अनुमान उन राज्यों में भाजपा के लगातार सीटें और लोकप्रियता कम होने की मिसाल की तरफ इशारा करता है जिन राज्यों में उसकी अच्छी पैठ थी. लेकिन बिहार में अपने सहयोगी से ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी उसे राजनीतिक समीकरणों के चलते अपनी पार्टी का मुख्यमंत्री बनाने का मौका नहीं मिला.
जैसा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री हेरोल्ड विल्सन ने 1960 में कहा था, "राजनीति में एक सप्ताह एक लंबा वक्त होता है." 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव लगभग 100 हफ्ते दूर है. अगर इन पांच विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सीटें कम होने का सिलसिला कायम रहता है, तो विपक्ष के पास खुश होने की एक बड़ी वजह है. हालांकि, इस बात की अधिक संभावना है कि एग्जिट पोल के अनुमानों के मुकाबले बीजेपी परिणामों में और भी खराब प्रदर्शन कर सकती है.भारत के भू-राजनीतिक परिदृश्य में, विशेष रूप से मौजूदा यूक्रेन संकट के बाद, देश की अर्थव्यवस्था के गिरने का अंदेशा है. यह मानना बचकाना होगा कि मोदी सरकार अपनी लोकप्रियता बरकरार रखते हुए अर्थव्यवस्था के संकटों में तेजी से सुधार लाने में कामयाब हो जाएगी.
मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास अच्छा मौका
युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था के और अधिक गिरने की आशंका है ऐसे में मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास एक अच्छा मौका होगा. बेरोजगारी और महंगाई को कम करने में सरकार की नाकामयाबी के चलते विपक्ष की भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की उम्मीद है. इसकी शुरुआत भी हो गई है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर से लेकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी तक, कई विपक्षी दिग्गज, विपक्ष को भाजपा के खिलाफ एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में एग्जिट पोल का अनुमान विपक्ष के उत्साह को और बढ़ाता नजर आ रहा है.
Rani Sahu

Rani Sahu

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