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भारत में बच्चों की आबादी कोरोना (Corona) को लेकर संवेदनशील है.
पंकज कुमार। भारत में बच्चों की आबादी कोरोना (Corona) को लेकर संवेदनशील है. हाल में हुए ताजा सीरो सर्वे (Sero Survey) में बच्चों की लगभग 60 फीसदी आबादी संक्रमण के प्रति संवेदनशाील है. देश में आई कोरोना की दूसरी लहर में देखा गया था कि बच्चों की ज्यादा आबादी पहली लहर की तुलना में संक्रमित हुई थी. ज़ाहिर है इसको देखते हुए नामचीन डॉक्टरों ने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीन की जरूरत पर जोर देना शुरु कर दिया था. भारत में जाइडस कैडिला (Zydus Cadila) अगले महीने जाइकोव-डी लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर चुकी है. दूसरी फेज की लहर के दरमियान कंपनी द्वारा की गई तीसरे फेज के ट्रायल में 12 से 18 साल के बच्चों को शामिल किया गया था और उनपर वैक्सीन का असर सकारात्मक दिखा था.
कंपनी का दावा है जाइकोव-डी डेल्टा वेरिएंट पर भी पूरी तरह असरदार है.ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) ने इमरजेंसी यूज के तहत पिछले महीने केडिला हेल्थ केयर को मंजूरी दे दी थी. रॉयटर्स के मुताबिक जायडस कैडिला अक्टूबर से हरेक महीने 1 करोड़ डोज बनाने का काम शुरू कर देगी. दूसरी तरफ बायोटैक कंपनी ने भी बच्चों के वैक्सीन को लेकर तीसरे फेज के ट्रायल को पूरा कर लिया है. कंपनी फिलहाल डेटा का आंकलन कर रही है और जल्द ही रेगुलेट्री बॉडी को ट्रायल के रिजल्ट को सौंपने वाली है.
इतना ही नहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया 2 साल से 12 साल के बच्चों के ऊपर दूसरे और तीसरे फेज का ट्रायल कर रही है. ज़ाहिर है भारत में तीन कंपनियां बच्चों की जरूरत को ध्यान में रखकर वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में काफी आगे निकल चुकी हैं. इसलिए तीसरे फेज के दस्तक से पहले बच्चों की सुरक्षा के लिए वैक्सीन रूपी कवच की तैयारी जोरों शोरों पर है.
कमेटी द्वारा बीमार बच्चों को पहले वैक्सीन देने की दी गई है सलाह
कोविड-19 पर बनाई गई कमेटी ने पिछले महीने सरकार को सलाह दिया है कि कैंसर, हृ्दय और अन्य लाइलाज बीमारी के मरीजों को वैक्सीन पहले दिया जाना चाहिए. कमेटी के चेयरमैन एन के अरोड़ा ने स्वस्थ्य बच्चों को वैक्सीनेशन के लिए इंतजार करने की बात कह साफ कर दिया है कि बीमार बच्चों को वैक्सीन देकर सुरक्षित करना सरकार की प्राथमिकताओं में है. कमेटी मानती है कि देश में 40 करोड़ बच्चे हैं और सभी को वैक्सीनेशन शुरू करने पर पहले से चल रहे 18+ लोगों के वैक्सीनेशन पर असर पड़ सकता है.
अमेरिका बच्चों के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू करने वाला पहला देश
अमेरिका में 12 से 17 साल के लगभग 55 फीसदी बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है. वहीं 45 फीसदी बच्चे दोनों डेज लेकर कोरोना से बचाव के लिए तैयारी कर चुके हैं. अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट का प्रोकप सिर चढ़ कर बोल रहा है. लेकिन बाइडेन सरकार ने स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों के खुलने के बाद वैक्सीनेशन को लेकर व्यापक अभियान छेड़ा हुआ है. सरकार अभिभावकों में बच्चों में वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता अभियान जोरदार तरीके से चला रही है. वैसे अमेरिका दुनिया में बच्चों के टीके को मंजूरी देने वाला पहला देश रहा है.
अमेरिका में फाइजर कंपनी 6 माह से लेकर पांच साल के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल कर रही है. वहीं 5 से 11 साल के बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता 66 फीसदी तक बढ़ने को लेकर दावा कर रही है. ज़ाहिर है कंपनी रेगुलेट्री बॉडी के पास इस्तेमाल की मंजूरी को लेकर आवेदन जल्द ही देने वाली है.
कई अन्य देशों ने भी शुरू किए हैं बच्चों के लिए वैक्सीनेशन
यूके ने 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर वैक्सीन की एक डोज की सिफारिश की है. वहीं चीन ने तो 3 से 17 साल के बच्चों को वैक्सीन लेकर स्कूल में आने की इज़ाजत दी है. डेनमार्क, स्पेन में 12 साल के उपर के बच्चों को एक खुराक लग चुकी है. जबकि फ्रांस में 12 से 17 साल तक के 66 फीसदी बच्चों को एक डोज और 52 फीसदी बच्चों को दोनों डोज लग चुकी है. कनाडा और नॉर्वे ने भी वैक्सीन को लेकर बच्चों की सुरक्षा पर व्यापक पहल किया है.
ऐसे में यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार भारत में बच्चों की आबादी 25 करोड़ है. भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में बच्चों का वैक्सीनेशन जल्द से जल्द होना जरूरी है. भारत के कई नामचीन एक्सपर्ट पहले ही आशंका ज़ाहिर कर चुके हैं कि बड़ों को वैक्सीन लगने के बाद बच्चों को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है. ताकि तीसरी लहर के आने पर खतरे की गुंजाइश कम रह सके.
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