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संयम श्रीवास्तव। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के फैसले करीब-करीब आ गए हैं. पर देश भर में सबसे ज्यादे इंतजार पश्चिम बंगाल के चुनावों में जीत-हार को लेकर ही था. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को भारी बहुमत मिलता दिख रहा है. बंगाल में पिछले 10 सालों से राज कर रही तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी दोनों का बहुत कुछ स्टैक पर लगा हुआ था. बंगाल के चुनाव परिणामों से एक बात और निकलकर सामने आ रही है कि अब प्रदेश की राजनीति से कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों के दिन लद चुके हैं. इन दोनों पार्टियों का तो एक तरह से सूपड़ा ही साफ होता दिख रहा है. इस तरह पश्चिम बंगाल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस तीसरी बार बहुमत में आना राष्ट्रीय राजनीति में भी बहुत कुछ उलट फेर करने वाला साबित होने वाला है. ममता बनर्जी समय-समय पर ऐसे इशारे भी करती रही हैं कि वे नैशनल पॉलिटिक्स का हिस्सा बनना चाहती हैं. अपने चुनाव प्रचार के दौरान तो उन्होंने अगले लोकसभा चुनावों में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया था. इसके साथ ही यह भी कहा था कि उनका अगला कदम दिल्ली पर कब्जा करना है. अगर इन बातों को हम चुनावी भाषण के रूप में भी लें तो इन्हें हल्के में नहीं लेना ठीक नहीं होगा. क्योंकि देश में ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं कि ममता बनर्जी को न चाहते हुए भी नैशनल पॉलिटिक्स में उतरना पड़ सकता है.