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West Bengal Election Result 2021 : चुनावी रण में अकेली पड़ गईं थीं ममता बनर्जी, कैसे कारवां को मोड़ लिया अपने पीछे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव देश की सबसे ताकतवर पार्टी, सबसे लोकप्रिय नेता और भारी प्रचार मशीनरी के सामने एक साधारण सी साड़ी पहनने वाली साधारण शक्ल सूरत की एक महिला ने अपने जिद्दी स्वाभाव , लड़ाका छवि और कभी न हार मानने वाली पहचान की बदौलत बंगाली जनमानस में ऐसी जगह बनाने में सफल हुईं कि लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की जनता का प्यार उसके लिए उमड़ पड़ा. जिस लड़ाई में सभी संगी साथी उनका छोड़कर चले गए, जिन क्षत्रपों के सहारे उन्होंने ढाई दशक से कब्जा जमाएं वामपंथियों से बंगाल को छीन लिया था इस बार उनके साथ कोई नहीं था. बंगाल की राजनीति में नितांत अकेली पड़ चुकी इस महिला ने समय रहते आपदा को अवसर में बदल लिया. अपने इस एकाकीपन में वो अपने प्रदेश की जनता से मानो यही कह रही थीं कि जब कोई न दे साथ तो एकला चलो रे… इस अकेली पड़ चुकी योद्धा ने ऐसी राह पकड़ी कि पीछे कारवां बनता गया. आइए देखते हैं कि कैसे हारी हुई लड़ाई जीत ली ममता ने? कैसे ममता ने बंगाली मानूष को यह संदेश देने में सफल हुईं कि वह अकेली योद्धा हैं जो मां-मांटी-मानूष की लड़ाई लड़ रही हैं.