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निया की पांच परमाणु शक्तियों का विवेक जागा है और उसका स्वागत किया जाना चाहिए
ये संधि अस्तित्व में आने के बावजूद कम से कम चार और देशों ने परमाणु हथियार बना लिए। ये देश भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया हैँ। उन देशों के तर्कों को निराधार नहीं कहा जा सकता। आखिर सिर्फ पांच देशों के पास ऐसे हथियार रहें, इसका क्या न्यायपूर्ण तर्क है? 5 nuclear armed countries
दुनिया की पांच परमाणु शक्तियों का विवेक जागा है और उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इन पांच देशों ने एक विरला कदम उठाते हुए ऐसा बयान जारी किया है, जिसने बढ़ते तनाव के बीच शांति की उम्मीद को मजबूत किया है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन ने एक साझा बयान जारी किया। उसमें कहा गया है कि परमाणु युद्ध ना जीता जा सकता है और ना लड़ा जाना चाहिए। साथ ही इसमें कहा गया है- "हम इस बात को पूरी शिद्दत के साथ मानते हैं कि परमाणु हथियारों प्रसार रोका जाना चाहिए।" यह बयान तब जारी हुआ है जबकि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) की ताजा समीक्षा को कोविड-19 के कारण बाद के लिए टाल दिया गया है। यह समीक्षा इसी चार जनवरी को होनी थी। लेकिन सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्यों ने इसे इस साल बाद में करने के का फैसला किया है। एनपीटी 1970 में अस्तित्व में आई थी। उसका मकसद दुनिया में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना है। लेकिन वह ऐसा करने में विफल रही है। ये संधि अस्तित्व में आने के बावजूद कम से कम चार और देशों ने परमाणु हथियार बना लिए। ये देश भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया हैँ। उन देशों के तर्कों को निराधार नहीं कहा जा सकता। आखिर सिर्फ पांच देशों के पास ऐसे हथियार रहें, इसका क्या न्यायपूर्ण तर्क है?
इसलिए असल सवाल यह है कि क्या पांचों महाशक्तियां परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए तैयार हैं? वो ऐसा हो जाएं, तो बात आगे बढ़ सकती है। परमाणु हथियारों का वजूद रहना ही नहीं चाहिए। फिलहाल, इन देशों ने परमाणु युद्ध टालने का संकल्प जताया है, तो वह राहत की बात जरूर है। पांचों ताकतों ने कहा- "परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध को टालना और रणनीतिक खतरों को कम करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।" बयान के मुताबिक सभी देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे राष्ट्रीय स्तर पर उन उपायों को मजबूत करेंगे, जिनसे परमाणु हथियारों का अनधिकृत या अनैच्छिक इस्तेमाल ना हो। बयान में संधि की उस धारा पर भी प्रतिबद्धता जताई गई जिसके तहत सभी देश भविष्य में पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए वचनबद्ध हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 191 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इस संधि का एक प्रावधान कहता है कि हर पांच साल पर इसकी समीक्षा होनी चाहिए। दुनियाकी अपेक्षा यह है कि अगली समीक्षा में प्रमुख निरस्त्रीकरण होना चाहिए।
नया इण्डिया

Gulabi
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