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हाथरस कांड से पहले हम उस निर्भय कांड की घटना का जिक्र करना चाहेंगे जब आधी रात को एक मैडिकल छात्रा से चार लोगों ने उसकी अस्मत से खिलवाड़ किया और उसकी मौत हो गई। हालांकि हाईकोर्ट ने फार्स्ट ट्रैक कोर्ट से मिली फांसी की सजा को बहाल रखा और यह अमित शाह जी की राजनीतिक इच्छा शक्ति ही थी कि वह संविधान और कानून के दायरे में रहते हुए मामले की जानकारी प्राप्त करते रहे और आखिरकार गुनाहगारों को फांसी मिली। अगर राजनीतिक नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी जी जैसा मजबूत है तो भारतीय लोकतंत्र में इंसाफ की उम्मीद की जा सकती है। वह चाहे दलित की बेटी हो या निर्भय रेप कांड के गुनाहगार हों या कोई भी अपराध हो, क्योंकि अब सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे मंत्री कर्त्तव्यपरायण हैं इसीलिए अमित शाह जी द्वारा दो महीने में रेप की घटनाओं में राज्यों को जांच के निर्देश को लेकर एक उम्मीद जगी है।
कहा भी गया है कि देरी से मिला इंसाफ किस काम का। हमारे यहां सच है कि न्यायिक प्रणाली की व्यवस्था बहुत व्यापक है, इसलिए किसी भी गुनाह का फैसला आते-आते वर्षों लग जाते हैं और तारीख पर तारीख को लेकर लोग नई परम्पराओं की शुरूआत भी करते हैं, परन्तु यह भी सच है कि अब इंसाफ होने लगा है। हाथरस केस में सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच चुका है और सीबीआई जांच कर रही है। फिर भी गृहमंत्रालय बराबर सतर्क है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस कांड के बाद पहले सीएम जोगी से बात की और उन्हें कहा कि गुनाहगार बचने नहीं चाहिएं और दलित बेटी को इंसाफ मिलना चाहिए। इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह जो कोरोना को परास्त कर चुके हैं और इसी मामले में डट गए तथा ऐसे में राज्यों को उनका यह ऐलान सचमुच लोगों के लिए सकून लाने वाला है। हमारा मानना है कि गृहमंत्रालय ने दो महीने में रेप की जांच से जुड़े आदेश को जारी करते समय सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को भी ध्यान में रखा जिसमें मृत्यु के समय दिए गए बयान को अहम माना गया है। इतना ही नहीं अमित शाह जी ने पुलिस को भी हिदायत दी है कि केस के गुनाह का पता चलने पर प्राथमिकी दर्ज करना जरूरी है और जीरो एफआईआर को भी महत्व दिया जाना चाहिए।
हम महिलाओं के प्रति सशक्तिकरण के पक्षधर हैं और गुनाह की सूरत में न्याय की आवाज उठाते हैं, जो सही है। परन्तु साथ ही जरूरी बात यह है कि हमें पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसी मजबूत इच्छाशक्ति वाले महानुभावों पर भरोसा भी करना होगा जो भविष्य की व्यवस्था को एक उदाहरण बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। जिन्होंने 3 तलाक पर बहुत सी महिलाओं का मान-सम्मान रखा, उनके हक की रक्षा की। असल में फिर घूम फिर कर बात वहीं पहुंच जाती है कि अब महिलाएं किसी से कम नहीं। सभी क्षेत्रों में सबसे आगे या बराबर की भागीदारी है। महिला सशक्तिकरण हो चुका है, परन्तु रेप, महिला को सैकेंड ग्रेड समझना, उसे तंग करना यह हमारे समाज की छोटी सोच रखने वालों की मानसिकता है, जिसे ठीक करना बहुत जरूरी है। जो घर से शुरू होकर समाज को ठीक करेगी। अक्सर घर के लोग, रिश्तेदार या जानने वाले ही रेप में शामिल होते हैं या महिला को तंग करते हैं। कोई भी महिला को तंग घर से ही किया जाता है। समाज की बारी बाद में आती है, इसलिए लोगों की सोच, मानसिकता को बदलना जरूरी है। पहले सख्त कानून बनेंगे तभी यह रुक सकेगा, थमेगा। क्योंकि भय बिन न होय प्रीत।Welcome to this guide line of the Ministry of Home Affairs ...