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- गौ रक्षा का स्वागत
गौ रक्षा के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बेहद महत्वपूर्ण और विचारणीय है। हमारे समाज में गाय न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी व्यापक महत्व रखती है। यदि उच्च न्यायालय ने गाय के संपूर्ण महत्व को देखते हुए इसे राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव दिया है, तो यह भारत में एक पारंपरिक आस्था को पुष्ट करने वाला कदम है। भारतीय समाज में अनेक समूह और लोग गो मांस का उपयोग करते हैं, लेकिन उच्च न्यायालय ने साफ कर दिया है कि गो मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। जीभ के स्वाद के लिए किसी से जीवन का अधिकार नहीं छीना जा सकता। बूढ़ी, बीमार गाय भी खेती के लिए उपयोगी होती है। गाय की हत्या की इजाजत किसी को देना ठीक नहीं है। वास्तव में आज गाय भारतीय कृषि की रीढ़ नहीं है और समय के साथ उसका सम्मान कम भी हुआ है, लेकिन अदालत के फैसले से गाय को नए सिरे से न केवल संरक्षण, बल्कि संवद्र्धन मिलने की संभावना बनेगी। अदालत ने इस बात को भी विशेष रूप से रेखांकित किया है कि भारत में सभी संप्रदाय के लोग रहते हैं और सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का आदर करना चाहिए।