सम्पादकीय

मौसम का रुख

Subhi
11 Jan 2022 3:21 AM GMT
मौसम का रुख
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पिछले कुछ दिनों से देश के ज्यादातर हिस्सों में ठंड का जैसा असर देखने में आ रहा है, वह परेशान करने वाला जरूर है, मगर सालाना चक्र के मुताबिक यह उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा हैरान नहीं करता।

पिछले कुछ दिनों से देश के ज्यादातर हिस्सों में ठंड का जैसा असर देखने में आ रहा है, वह परेशान करने वाला जरूर है, मगर सालाना चक्र के मुताबिक यह उतार-चढ़ाव बहुत ज्यादा हैरान नहीं करता। पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी से मैदानी इलाकों में बारिश और शीतलहर के जोर ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है और बढ़ती ठंड ने लोगों को मौसम के सामने बचाव की मुद्रा में खड़ा कर दिया है। खासकर बीते दो-तीन दिनों में पहले से ही निचले स्तर पर चल रहे तापमान के बीच बरसात ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। यह स्थिति ज्यादा चिंता की वजह इसलिए बन रही है कि कोरोना विषाणु के नए बहुरूप ओमीक्रान के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ठंड के मौसम में पहले ही सर्दी-जुकाम और बुखार जैसी समस्या आम रही है, लेकिन कोरोना के दौर में अगर लोग इसकी चपेट में आते हैं तो चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।

हालांकि कई दिनों की ठंड और फिर बरसात के बाद अब बारिश से कुछ राहत मिलने के आसार बने हैं, लेकिन मौसम के रुख को देखते हुए तापमान के बारे में कोई सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। यों मौसम की अपनी गति होती है। निर्धारित चक्र के मुताबिक ही इसके तापमान में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसमें कुछ दिन पहले या बाद की स्थिति बन सकती है, मगर आमतौर पर मौसम प्रकृति के सामान्य चक्र के हिसाब से ही संचालित होता है। उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में हाल की बारिश और बर्फबारी के चलते तापमान में तीन से पांच डिग्री तक की गिरावट आई है।

इसका मुख्य असर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि इलाकों में पड़ने की आशंका है। बढ़ती ठंड के बीच बारिश और बर्फबारी एक आम प्राकृतिक घटनाक्रम है। मौसम विभाग के मुताबिक इसके पीछे मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ का हाथ है, जिसकी वजह से उत्तर-पश्चिम भारत में भारी बारिश हुई और तापमान में काफी गिरावट आई। इस बार इसका ज्यादा असर सामने आने का कारण अरब सागर के ऊपर भारी नमी का क्षेत्र बन जाना रहा। अब उस हवा के मध्य भारत की ओर रुख करने से बारिश की आशंका जताई जा रही है। इसके समांतर अगर हिमालय की ओर से बहने वाली हवा का जोर बढ़ा तो वह मैदानी इलाकों में तापमान में गिरावट और ठंड के असर को गहरा कर सकता है।

सामान्य स्थितियों में मौसम के ऐसे रुख को लेकर अमूमन सभी लोग अभ्यस्त रहते हैं, लेकिन बीते दो सालों से ठंड और इसके असर ने अतिरिक्त चिंता पैदा की है। ठंड के मौसम में शरीर के संतुलन बिठाने के क्रम में सेहत में होने वाला जो उतार-चढ़ाव एक सहज स्थिति रही है, वह अब कोरोना विषाणु और इसके अन्य बहुरूप के संक्रमण के मद्देनजर चिंता की वजह बन गई है। इस मौसम में बेघर लोगों और फुटपाथों पर जीवन गुजारने वालों की व्यवस्था करना सरकार की अतिरिक्त चिंता में शुमार रहा है, लेकिन महामारी का सामना करने के नियम-कायदों और तौर-तरीकों के बीच इस पहलू पर कितना ध्यान दिया जा पाता है, यह देखने की बात होगी। मौसम विभाग के अनुमानों के मुताबिक फिलहाल ठंड और तापमान के निचले स्तर में कोई बड़ी राहत तुरंत मिलने की उम्मीद कम है। इसलिए एक ओर जहां सरकार को मौसम के रुख के मुताबिक जरूरतमंद लोगों की मदद से लेकर संक्रमण से भी बचाव के उपाय को लेकर तैयार रहना चाहिए, वहीं आम लोगों को अपने स्तर पर सभी सावधानी बरतने की जरूरत है।



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