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दुश्मन को खाक में मिलाने वाले हथियार के लिए अब भारत किसी विदेशी मुल्क के आगे हाथ नहीं फैलाएगा
दुश्मन को खाक में मिलाने वाले हथियार के लिए अब भारत किसी विदेशी मुल्क के आगे हाथ नहीं फैलाएगा, बल्कि हिंदुस्तान खुद ऐसे हथियार तैयार करेगा. सबसे हल्का लड़ाकू विमान हो या फिर क्रूज मिसाइल. ये सभी घातक वेपन मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाए जाएंगे. डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए देश ने एक कदम और बढ़ा दिया है. अब ऐसे हथियारों का आयात बाहर से नहीं होगा, जिसे हिंदुस्तान खुद तैयार कर सकता है.
क्या-क्या डिफेंस उत्पादों के आयात पर बैन
मोदी सरकार लगातार मेक इन इंडिया पर जोर देती रही है. रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन के तहत रक्षा मंत्रालय ने कुल 351 डिफेंस उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. इसमें मिसाइल अप्रोच वॉर्निंग सेंसर, शेल, प्रोपेलेंट, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स, मिसाइल कंटेनर, टारपीडो ट्यूब लॉन्चर और गन फायर कंट्रोल सिस्टम जैसे हथियार और उससे जुड़े सामान शामिल हैं. ये पूरी प्रक्रिया तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी. इसके अलावा भारत की तैयारी दिसंबर 2024 तक 101 हथियारों और सैन्य प्लेटफॉर्म के आयात को भी पूरी तरह बंद करने की है. जिसके तहत कार्गो विमान, हल्के लड़ाके हेलीकॉप्टर (LCH), पारंपरिक पनडुब्बी, क्रूज मिसाइल और सोनार सिस्टम का आयात भी बंद करने का लक्ष्य रखा गया है.
इससे पहले इसी साल मई में जारी की गई दूसरी सूची में रक्षा मंत्रालय ने 108 हथियारों और इससे जुड़े सिस्टम जैसे एयरबोर्न अली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन, रडार और नेक्स्ट जेनरेशन के कोरवेट के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. पिछले 16 महीनों में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई ये तीसरी ऐसी लिस्ट है, जिसके तहत भारत को सैन्य हथियार के विकास और निर्माण का केंद्र बनाने की कोशिश की जा रही है.
हर साल बचेंगे 3000 करोड़ रुपये
भारत के इस कदम से हर साल 3,000 करोड़ रुपये की बचत होगी तो साथ ही सरकार के इस फैसले से घरेलू डिफेंस इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि सरकार ने अगले 5 सालों में करीब 35 हजार करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादों के निर्यात का भी टारगेट रखा है. आपको बता दें कि 2014-15 में 1,940.64 करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात किया गया, जबकि साल 2020-21 ये निर्यात बढ़कर 8,434 करोड़ हो गया. अब सरकार ने 2025 के लिए 5 अरब डॉलर के रक्षा उपकरणों के निर्यात का लक्ष्य रखा है.
3 हजार करोड़ में क्या-क्या हो सकता है?
आपको बता दें कि हथियारों के आयात को खत्म करने से भारत को जो सालाना 3 हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा. उससे देश में कितना विकास हो सकता है. मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो इतने पैसे में 300 किलोमीटर का फोरलेन हाइवे बन सकता है. 3000 करोड़ रुपये से देश में 11 केंद्रीय विश्वविद्यालय तैयार हो सकते हैं. इतनी मोटी रकम से एम्स जैसे 3 बड़े अस्पताल बनाए जा सकते हैं, जबकि इतने पैसे से मार्स जैसे 6 मिशन लॉन्च किए जा सकते हैं.
न्यूजनेशन
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