सम्पादकीय

हमें ढेर सारे पेड़ों के साथ अपने ग्रह को सशक्त करने के बारे में सोचना चाहिए

Gulabi Jagat
14 April 2022 8:44 AM GMT
हमें ढेर सारे पेड़ों के साथ अपने ग्रह को सशक्त करने के बारे में सोचना चाहिए
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ओपिनियन
एन. रघुरामन का कॉलम:
अगर आप सुबह किसी के घर जाकर उन्हें पुकारें और जवाब मिले कि वो सुबह की सैर में फूल तोड़ने गए हैं, तो ये सामान्य बातचीत होगी। पर आपको जवाब मिले कि वो भोजन की तलाश में गए हैं, तो ये सुनकर आपको झटका सा लगेगा। क्योंकि हम जैसे ज्यादातर शहरी लोग फूड पैसे से खरीदते हैं ना कि उसे खोजते (फोरेजिंग) हैं। फोरेजिंग का और एक अर्थ शिकार करके उसे इकट्‌ठा करना भी है।
कुछ सालों पहले एक बार मैंने यह नाशिक में सुना था, जब घर का केयरटेकर सुबह जल्दी घर नहीं आया था। एक रात पहले आए तूफान से घर धूल-पत्तों से भर गया था और फोन काम नहीं कर रहा था, ऐसे में सफाई के लिए मैं उसे बुलाने उसके घर गया। मुझे बताया कि वह भोजन की तलाश में गया है! ये अलग कहानी है कि वह बहुत सारी सब्जियां व ढेर सारे कच्चे आम लेकर लौटा था, जिसका बाद में हमने अचार बनाया था।
दो वजहों से इस बुधवार को यह घटनाक्रम याद आया। पहला ये कि खुदरा महंगाई दर मार्च में 6.95% पर पहुंच गई है, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से आकी जाने वाली ये दर पिछले 17 महीने के उच्चतम स्तर पर है। 12 अप्रैल को राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने इसे जारी किया। लगातार तीसरे महीने खुदरा महंगाई दर आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है और विशेषज्ञों के अनुमान से कहीं ज्यादा है। दूसरा कारण ये है कि न्यूजीलैंड जैसे समृद्ध देश में लोग फूड फोरेजिंग कर रहे हैं।
न्यूजीलैंड की एक यूनिवर्सिटी में सलाहकार और आईआईटी मुंबई के मेरे पूर्व प्रोफेसर ने मुझे बताया कि वहां की एक बड़ी आबादी के बीच हाल के दिनों में ये एक नया शगल है, खासकर कोरोना के बाद। वो इसलिए क्योंकि न्यूजीलैंड में महंगाई बढ़ी है और खाने की कीमतें आसमान छू रही हैं। जाहिर है बड़ी संख्या में लोग रसोई में भरपाई के लिए फोरेजिंग कर रहे हैं।
समुदाय में लोग फलों व अखरोट के पेड़ चिह्नित करते हैं, हवा से पेड़ों से गिरी खाने की चीजों के बारे में एक-दूसरे को आगाह करते हैं, खाने योग्य पौधों से जुड़ा ज्ञान विकसित करते हैं और खुद को सिखाते हैं कि अच्छे व जहरीले मशरूम में फर्क कैसे करें। कुछ जगहों पर तकरार बढ़ जाती है क्योंकि लोग अपनी बेशकीमती मशरूम वाली जगह शेयर करने से इंकार करते हैं। फोरेजिंग, दक्षिणी आयलैंड के सबसे बड़े शहर क्राइस्टचर्च में बेहद लोकप्रिय है, जहां 2010 व 2011 में भूकंप ने कई इमारतें तबाह कर दी थीं।
आठ हजार से ज्यादा घर ढह गए थे और पुनर्निर्माण के लिए यह जगह खतरनाक घोषित हो गई थी। एक दशक बाद प्रकृति ने इस हिस्से में अपनी छटा बिखेर दी है और यहां के बंगले, फुटपाथ, स्विमिंग पूल, बगीचे जंगल जैसे हो गए हैं। और यह फोरेजिंग करने वालों की पसंदीदा जगह है। जोआना वाइल्डिश ने भूकंप के बाद समय बिताने के लिए फोरेजिंग शुरू की और 'ओताउताही अर्बन फोरेजिंग ग्रुप' बनाया, जहां लोग पके फल, जगहों व उत्पादक पेड़ों के साथ-साथ फोरेजिंग के लायक फूड की रेसिपी से जुड़े टिप्स एक-दूसरे से साझा करते हैं।
एक घंटे की फोरेजिंग के बाद हर किसी की बास्केट मशरूम, गोभी पत्ता, मैलो व फैनल से भर जाती है। कुछ लोगों के लिए ये आनंद का भी जरिया है। अगर आप भोजन नहीं खरीद सकते, तो उगा तो सकते हैं, भले ही सीमित जगह हो। खाना खरीदने के अलावा, इसे खुद के लिए उगाना या जंगल में खोजने जाना भविष्य की अगली बड़ी वैश्विक गतिविधि होगी।
फंडा यह है कि बैसाखी, बिहू, विशू, पोएला, बोइशाख और पुतांडुु उत्सवों के बीच हमें ढेर सारे पेड़ों के साथ अपने ग्रह को सशक्त करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि किसी की भी आर्थिक स्थिति से इतर उसका पेट भरने के लिए वैकल्पिक चीजें और तरीके उपलब्ध हो सकें।
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