- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- अपराजेय नहीं हैं हम
दिव्याहिमाचल.
एक बहुत बड़ी जीत और एक बेहद करारी हार…! अंततः पाकिस्तान ने 29 साल बाद भारत को हरा ही दिया। फर्क इतना है कि 1992 में एकदिनी विश्व कप का मैच था और पाकिस्तान चैंपियन बना था। अब 24 अक्तूबर, 2021 को टी-20 विश्व कप का शुरुआती लीग मैच था और टीम पाकिस्तान ने टीम इंडिया को खेल के हरेक पक्ष में धोकर रख दिया। बेशक मैच से पहले टीम इंडिया के पक्ष में जोश, जुनून, जज़्बा सब कुछ था, मैदान में 80 फीसदी से ज्यादा दर्शक भारत-समर्थक थे, आंकड़े और इतिहास भी भारत के पक्ष में था, लेकिन मैदान पर मैच शुरू होने की कुछ गेंदों बाद ही टीम इंडिया पराजित हो गई थी। विश्व कीर्तिमान धारी 'हिटमैन' रोहित शर्मा पहली ही गेंद पर 'शून्य' के साथ लौट गए। आईपीएल के सिरमौर बल्लेबाज राहुल की गिल्लियां भी मात्र 3 रन पर उछल कर बिखर गईं। यह दलील दी जा सकती है कि यही क्रिकेट की अनिश्चितता है। पाकिस्तान के साथ बल्लेबाजी और गेंदबाजी में ऐसा क्यों नहीं हुआ? हमारे महान, धुआंधार बल्लेबाजों को इतना तो एहसास होगा कि वे विश्व कप के मैदान में हैं, जहां मौके बेहद सीमित होते हैं। सिर्फ कप्तान विराट कोहली ही 18वें ओवर तक अकेले संघर्ष करते रहे और खूबसूरत 57 रन बनाए। सूर्यकुमार यादव और ऋषभ पंत लगभग हर बार इतनी हड़बड़ी में क्यों रहते हैं? इस सवाल का अब मूल्यांकन किया जाना चाहिए। सूर्य का ठोस विकल्प इशान किशन हैं, जिनका स्ट्राइक रेट अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा है। उनकी ओपनिंग पर भी अब पुनर्विचार करना ही पड़ेगा और राहुल 4-5 नंबर पर खेलें। हालांकि पंत ने कुछ बहुत अच्छे शाट्स ठोककर 39 रनों की पारी खेली, लेकिन उनसे सब्र और परिपक्वता की दरकार थी। पराजय उनके आउट होते ही तय-सी लगने लगी। अकेले कोहली भी अनिश्चितता के बीच कहां तक पारी को खींचते? बहरहाल 151 रन दुबई की पिच पर चुनौतीपूर्ण लक्ष्य था।