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- हम असाधारण भारतीय

भारत में असाधारण परिस्थितियां ही वास्तव में राष्ट्र बनाती हैं। हम भयंकर बरसात-बाढ़, गर्मी-लू, ठंड और बर्फबारी में एक मुकम्मल देश बन जाते हैं। हम जब तक असाधारण होकर नहीं सोचते, देश अपना सा नहीं लगता। इसीलिए हमेशा महंगाई को साधारण मानकर हम असाधारण हो जाते हैं या इसके विपरीत जब नागरिक असाधारण सा काम करते हैं, सरकारें ठीक हो जाती हैं। पेट्रोल के दाम असाधारण तब तक रहे जब तक नागरिक साधारण थे, लेकिन जैसे ही उपचुनावों को असाधारण बना कर जनता ने अपना काम किया, पेट्रोल के दाम पसीना-पसीना हो गए। देश की व्यवस्था दरअसल असाधारण हो गई है, क्योंकि हम भारतीय साधारण से दिखते हैं और काम भी इसी अनुपात में करते हैं। बाकायदा असाधारण परिस्थितियों में धकेल कर नेता लोग हमें साधारण बनाए रखते हैं। नागरिक को साधारण बनाए रखना सरकारों की मजबूरी भी है। हम साधारण रहेंगे, तो सरकारें काम करती हुई नजर आती हैं।
