सम्पादकीय

आतंक का रास्ता

Subhi
3 May 2022 3:31 AM GMT
आतंक का रास्ता
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कश्मीर और पंजाब में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ की भूमिका किसी से छिपी नहीं है।

Written by जनसत्ता: कश्मीर और पंजाब में अशांति फैलाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। इस स्थापित तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए आइएसआइ भाड़े के आंतकियों को प्रशिक्षण से लेकर हथियार तक देती आई है और उन्हें सीमा पार करवा कर कश्मीर में आतंकवाद फैलाती रही है। अब यह भी सामने आ गया है कि आइएसआइ कश्मीर में आतंकवाद को स्वदेशी आंदोलन का रंग देने की रणनीति पर काम कर रही है।

यह चिंता की बात ज्यादा इसलिए भी है कि इसके लिए वह पढ़ाई के लिए कश्मीर से पाकिस्तान जाने वाले नौजवानों का इस्तेमाल कर रही है। इस साजिश का खुलासा पिछले कुछ समय में आतंकवादी अभियानों में मारे गए कुछ नौजवानों के बारे में गहराई से की गई छानबीन के दौरान हुआ। गौरतलब है कि पाकिस्तान से पढ़ कर सत्रह कश्मीरी नौजवान घाटी लौटे थे और फिर वे वहां आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गए। ये सभी वैध दस्तावेजों के आधार पर पाकिस्तान गए थे और वहां के शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे। खुफिया एजंसियों, सेना और कश्मीर के स्थानीय प्रशासन के लिए यह गंभीर चिंता का विषय इसलिए भी है कि बड़ी संख्या में कश्मीरी नौजवान अभी भी पाकिस्तान के शिक्षण संस्थानों में तालीम ले रहे हैं।

पिछले दो दशकों से कश्मीरी नौजवान इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे पाठ्यक्रमों और उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तान के शिक्षा संस्थानों में रूस या अन्य देशों यहां तक कि भारत के मुकाबले भी फीस अपेक्षाकृत कम होना बताया जाता है। फिर, वहां का माहौल भी कश्मीरियों को ज्यादा मुफीद लगता है। मुसलिम देश होने की वजह से वहां कश्मीरियों को बाहरी भी नहीं समझा जाता। इससे कश्मीरी विद्यार्थियों के भीतर असुरक्षा का भाव भी पैदा नहीं होता।

लेकिन पाकिस्तान में कश्मीरी छात्रों का पढ़ने जाना भारत के लिए बड़ा संकट बन गया। पता चला कि वहां से लौटे छात्र आतंकी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। यह तो सामने आ ही चुका है कि कुछ अलगाववादी संगठन भी कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान में दाखिला दिलाने में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए) पहले ही कर चुकी है। जांच में खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान के मेडिकल कालेजों में सीटें मुहैया करवाने के लिए हुर्रियत के कुछ नेता पैसे लेते थे और इस पैसे का इस्तेमाल घाटी में आतंकी वारदात में किया जा रहा था।

इसमें तो कोई संदेह नहीं रह जाता है कि आइएसआइ पाकिस्तान में पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रही है। इनके जरिए वह नए सिरे से घाटी में भारत विरोधी आंदोलन खड़ा करने और आतंकी वारदात को अंजाम देने की कोशिशों में जुटी है। हालांकि सरकार दावा करती रही है कि कश्मीर घाटी से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिए जाने के बाद से वहां आतंकी घटनाओं में कमी आई है। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखती है। आए दिन होने वाले आतंकी हमले बता रहे हैं कि आतंकी गुट अब भी पहले की तरह ही सक्रिय हैं, कई और आतंकी गुट खड़े हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों में इनका जाल फैल गया है। यह सही है कि सीमा पर कड़ी चौकसी के कारण घुसपैठ कम हुई है, पर उसका तोड़ आइएसआइ ने कश्मीरी युवकों को अपने जाल में फंसा कर निकाल लिया है। ऐसे में कश्मीरी नौजवानों को पाकिस्तान के चंगुल से बचाना भारत के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं है।


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