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- क्या टीकों की उपलब्धता...
मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब समेत कई राज्यों ने तीसरे चरण के टीकाकरण अभियान को शुरू कर पाने में जिस तरह हाथ खड़े कर दिए, वह निराशाजनक भी है और चिंताजनक भी। कुछ राज्यों ने तो पहले ही कह दिया था कि वे 1 मई से 18 से 44 साल के लोगों के टीकाकरण का काम शुरू नहीं कर पाएंगे। इन सभी की मानें तो उनके पास पर्याप्त टीके नहीं हैं, लेकिन केंद्र सरकार का यह कहना है कि राज्यों के पास अभी एक करोड़ टीके हैं। आखिर समस्या कहां है और क्यों है? यह बिल्कुल भी ठीक नहीं कि जिस अभियान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए, वह बाधित होता दिख रहा है।
क्या इसके पीछे तैयारियों की कमी जिम्मेदार है या फिर राज्यों ने समय से टीके नहीं खरीदे अथवा टीकों के उत्पादन और उनकी आपूर्ति में कोई समस्या खड़ी हो गई है? क्या टीकों की उपलब्धता का अनुमान लगाए बगैर अगले चरण के टीकाकरण की घोषणा कर दी गई? इन सभी सवालों के जवाब सामने आने ही चाहिए, ताकि टीकाकरण केंद्रों और आम जनता का असमंजस खत्म हो। जहां केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त मात्रा में टीके उपलब्ध हों, वहीं राज्यों को यह देखना होगा कि टीकाकरण द्रुत गति से हो।