सम्पादकीय

क्या तब नहीं सोचा गया?

Gulabi
14 Jan 2022 5:16 PM GMT
क्या तब नहीं सोचा गया?
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प्रश्न उठता है कि क्या जब चीनी कंपनियों के निवेश पर प्रतिबंध लगाए गए
प्रश्न उठता है कि क्या जब चीनी कंपनियों के निवेश पर प्रतिबंध लगाए गए, तब उसके परिणामों पर नहीं सोचा गया था? क्या भारत सरकार भावावेश में निर्णय लेती है? क्या अब यह सोचा गया है कि उस प्रतिबंध में छूट देने का क्या संदेश जाएगा? क्या उससे चीन का हौसला नहीं बढ़ेगा?
एक अमेरिकी मीडिया संस्थान की ये खबर हैरत में डालने वाली है कि भारत सरकार ने 2020 में चीन के जिन निवेशों पर प्रतिबंध लगाए थे, अब वह उनमें कुछ ढील देने पर विचार कर रही है। ये प्रतिबंध जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई लड़ाई के बाद लगाए गए थे। उस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। गलवान घाटी और लद्दाख के कई दूसरे इलाकों में चीनी फौज की घुसपैठ अब भी कायम है। तो जो कदम चीन के उस 'आक्रामक' रवैये के विरोध में उठाए गए थे, उन्हें अभी वापस लेने का क्या तुक बनता है? मीडिया संस्थान ब्लूमबर्ग ने बताया है कि नरेंद्र मोदी सरकार अब उन कंपनियों के प्रस्तावों को छूट देने पर विचार कर रही है, जिनमें विदेशी मालिकाना हक 10 फीसदी से कम है। मौजूदा नियम यह कहते हैं कि भारत की जमीनी सीमा जिन देशों के साथ जुड़ती है, अगर उन देशों की कोई इकाई भारत में निवेश करती है, तो इसके लिए उसे भारत सरकार से अलग से इजाजत लेनी होगी। यानी कोई भी इकाई स्वचालित तरीके से निवेश नहीं कर सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल करीब छह अरब डॉलर के प्रस्ताव इस नियम की वजह से अटके हुए हैं।
इन्हीं हालात में सरकार ने चीनी निवेश के प्रस्तावों पर दोबारा विचार करना शुरू किया है। अगले महीने तक इस पर किसी तरह का फैसला लिया जा सकता है। प्रश्न उठता है कि क्या जब प्रतिबंध लगाए गए, तब उसके परिणामों पर नहीं सोचा गया था? क्या भारत सरकार भावावेश में निर्णय लेती है? क्या अब यह सोचा गया है कि उस प्रतिबंध में छूट देने का क्या संदेश जाएगा? क्या उससे चीन का हौसला नहीं बढ़ेगा? गौरतलब है कि चीनी मीडिया में इस खबर को मजबूरी में उठाया भारत का कदम बताया गया है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत विदेशी निवेश कम होने की सूरत में ऐसे कदम पर विचार कर रहा है। अखबार ने कहा है कि बीते वक्त में चीनी व्यापारों पर जिस तरह की जांच और पाबंदियां लगाई गईं, उससे व्यापारियों का भारत पर भरोसा डिगा है। 2020 में भारत और चीन के बीच सीमा पर विवाद को लेकर बढ़े राजनीतिक तनाव का असर व्यापारिक रिश्तों पर भी पड़ा था। इसके बाद भारत में कारोबार करने वाली चीनी कंपनियों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे।
नया इण्डिया
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