सम्पादकीय

युद्ध अपराध भी 'नुमाइशी'!

Rani Sahu
25 March 2022 7:07 PM GMT
युद्ध अपराध भी नुमाइशी!
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क्या रूस और उसके राष्ट्रपति पुतिन को ‘युद्ध अपराधी’ करार दिया जा सकता है

क्या रूस और उसके राष्ट्रपति पुतिन को 'युद्ध अपराधी' करार दिया जा सकता है? अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन तो पुतिन को 'युद्ध अपराधी' घोषित कर चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी कई बार इस विशेषण का प्रयोग कर चुके हैं। नाटो और यूरोपीय देशों की मंशा भी यही है। 1949 में जिनेवा संधि के तहत 'युद्ध अपराध' को परिभाषित किया गया था। उस संधि-प्रस्ताव पर रूस, अमरीका समेत संयुक्त राष्ट्र के लगभग सभी देशों ने हस्ताक्षर किए थे। उस संधि के तहत युद्धरत सैनिकों या बंदियों को मारना, यातना देना, बंधक बनाना अथवा किसी भी तरह के अमानवीय व्यवहार करना 'युद्ध अपराध' है। युद्ध के दौरान स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, धार्मिक आस्था के केंद्रों, घरों और रिहायशी इमारतों आदि पर, किसी भी माध्यम से, हमला करना और उन्हें तबाह कर 'मिट्टी' बना देना भी 'युद्ध अपराध' है। युद्ध के दौरान यौन हिंसा, लूटपाट, सेना में बच्चों को भर्ती करना, जातीय सफाया आदि भी 'युद्ध अपराध' हैं।

युद्ध में कलस्टर या वैक्यूम बम, कुछ विशेष हथियारों और ज़हरीली गैसों के इस्तेमाल पर भी पाबंदी है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अब रासायनिक, जैविक और सीमित प्रभाव वाले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा सभी जता रहे हैं, क्योंकि रूस लगातार ऐसी धमकियां दे रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति ने इनके पलटजवाब के मद्देनजर एक 'टाइगर टीम' का गठन किया है। नाटो के कई देशों की सीमाओं पर लाखों सैनिकों और हथियारों की तैनाती की गई है। यह तीसरे विश्व युद्ध के लिए लामबंदी की गई है या रूस से किसी भी अप्रत्याशित आक्रमण का अंदेशा है? संयुक्त राष्ट्र की रपट है कि युद्ध में 5000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। करीब 125 तो मासूम बच्चे हैं, जो जि़ंदगी गंवा चुके हैं। यूक्रेन में ही 100 अरब डॉलर का नुकसान अभी तक आंका गया है। लोग मरे हैं, तो जाहिर है कि युद्ध के दौरान आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है। यूक्रेन में एक करोड़ से ज्यादा नागरिक बेघर हो चुके हैं। उनमें करीब 40 लाख तो पलायन कर पड़ोसी देशों में 'शरणार्थी' बन चुके हैं। शेष यूक्रेन में ही इधर-उधर फंसेे हुए हैं।
यूक्रेन के सबसे महत्त्वपूर्ण शहरों-खारकीव और मारियुपोल-के खंडहरों से स्पष्ट है कि कितने व्यापक स्तर पर आम लोगों को निशाना बनाया गया और कितना वीभत्स नरसंहार और मानवीय अत्याचार किया जा चुका है। सिलसिला युद्ध के एक महीने के बाद भी जारी है। युद्ध के दौरान नागरिक संपत्तियों को नष्ट करना और उनके जरिए लोगों को मारना भी 'युद्ध अपराध' है। जिस तरह राजधानी कीव के पास इरपिन शहर में रूसी सेना के एक ही मिसाइल हमले में सैकड़ों कारों के परखच्चे उड़ा दिए गए और उनमें एक कार में मौजूद दो बुजुर्ग भी मारे गए, तो यह 'घोर युद्ध अपराध' है। सवाल यह है कि क्या किसी 'युद्ध अपराधी' की जिम्मेदारी तय की जा सकती है? यह काम कौन करेगा? खुद महाशक्ति अमरीका पर 'युद्ध अपराध' के गंभीर आरोप हैं, लेकिन पहली बार यह सामने आया है कि किसी देश के राष्ट्रपति ने, दूसरे देश के राष्ट्रपति को, 'युद्ध अपराधी' करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत ने यूक्रेन में तुरंत युद्ध रोकने का आदेश रूस को दिया था, लेकिन उसे अमली तौर पर प्रभावी कौन बनाएगा? रूस तो इस अदालत की अथॉरिटी ही नहीं मानता। दुनिया के 39 देश रूस के खिलाफ 'युद्ध अपराध' लागू करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय कौन लेगा और क्या रूस उसे स्वीकार करेगा? क्या 'युद्ध अपराध' की संधि और उसके नियम भी 'नुमाइशी' हैं? हालांकि युद्ध में रूस के भी करीब 7000 सैनिक मारे जा चुके हैं। सैन्य उपकरण और हथियार भी तबाह हुए हैं। अहंकार से अलग होकर पुतिन को सोचना चाहिए कि यथाशीघ्र जेलेंस्की से युद्ध रोकने को बात हो।

क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली

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