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- नफरत की दीवारें
Written by जनसत्ता; रामनवमी के मौके पर कई जगह शोभा यात्राओं पर पथराव और हिंसा की घटनाएं अति निंदनीय हैं। आखिर शोभा यात्राओं पर पत्थर बरसाने से क्या हासिल हो जाएगा? इससे तो और अधिक खटास पैदा होगी। चाहे किसी भी धर्म का कोई भी जुलूस/ शोभायात्रा हो, उन पर पत्थर नहीं, फूल बरसाने की जरूरत है। कोई भी मजहब नफरत नहीं सिखाता है। मगर वोट की राजनीति के चलते देश भटकाव की राह पर है।
ऐसे माहौल के चलते हम विश्व गुरु कैसे बन सकते हैं? देश में इस समय जो भी हो रहा है, वह सब कमजोर करने वाला है। सभी प्रमुख धर्म गुरुओं को आपसी सौहार्द और भाईचारे को मजबूत करने के लिए, जो नफरत की दीवारें खड़ी हो रही है, उन्हें देश हित में गिराने के लिए काम करना होगा, अन्यथा आपस में लहूलुहान होकर हम देश को तो कमजोर कर ही रहे हैं, अपने पैरों पर भी कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। जनता सरकार का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आई है। हालत यह है कि जिनके पास पैसा है वे चाह कर भी सामान नहीं खरीद सकते। वहां के राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा कर दी है। ऐसी स्थिति में भारत ने अपना पड़ोसी होने का पूर्ण कर्तव्य निभाया और श्रीलंका की मदद करने के लिए आगे आया है।
दंड प्रक्रिया शिनाख्त संशोधन विधेयक पारित होने से अपराधियों की पहचान सुनिश्चित हो सकेगी और सबूतों के अभाव में अपराधियों के छूटने की संभावना भी कम हो जाएगी। इसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के आंदोलनों में हिंसात्मक गतिविधियां करने वाले, विभिन्न मुद्दों पर धरना, प्रदर्शन, तोड़फोड़, पत्थरबाजी, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे अनुचित कार्य करने वाले आरोपियों को पहचानने में भी सहायता मिलेगी। मगर आज के तकनीकी युग में अपराधी भी नई-नई तकनीकों का सहारा लेकर अपराध को अंजाम देते है। इसलिए संहिता में भी समय-समय पर बदलाव होते रहना चाहिए। इसके अलावा, जैविक आंकड़ों का दुरुपयोग न होने पाए, सरकार को इसका भी विशेष ध्यान रखना होगा।