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ड्रग्स की महामारी के खिलाफ मुखर अभियान: भारत में छह करोड़ से भी अधिक लोगों को ड्रग्स की लत

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| तिलकराज | जब कोरोना वायरस आपके किसी करीबी को संक्रमित करता है, तब आप क्या सोचते हैं? यही न कि वह व्यक्ति जल्द स्वस्थ हो, ताकि संक्रमण और न फैले। वहीं जब कोई व्यक्ति ड्रग्स यानी मादक पदार्थों का सेवन कर रहा होता है, तब आप उसे नजरअंदाज कर देते हैं! क्यों? ड्रग्स का सेवन भी तो जानलेवा है। यह भी एक महामारी है। ड्रग्स का दानव न केवल जिंदगियां और परिवार तबाह कर रहा है, बल्कि इसका काला कारोबार राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का अहम स्नेत बना हुआ है। अलगाववादी-आतंकी संगठनों के लिए यह बहुत कमाऊ खेल है। इसी समाज विरोधी और राष्ट्र विरोधी बुराई पर नकेल कसने के लिए असम में हम युद्धस्तर पर जुटे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मेरा अनुभव बहुत उपयोगी सिद्ध हो रहा है। हमारी सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति और सटीक रणनीति से ड्रग तस्करों पर प्रहार करने में लगी है। इसके उत्साहवर्धक नतीजे भी मिल रहे हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय के एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में छह करोड़ से भी अधिक लोगों को ड्रग्स की लत लगी हुई है। इनमें भी अधिकांश किशोर और युवा हैं। यानी देश की युवा पीढ़ी को नशे का शिकार बनाकर उन्हें अपराध एवं अवसाद की दलदल में धकेला जा रहा है।