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विराट वटवृक्ष थे भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी, वे अपने समर्थकों के लिए हमेशा रहे आदर्श
सोर्स- Jagran
तरूण चुग। भारत मां के सच्चे सपूत, सशक्त सांसद, प्रखर पत्रकार, संवेदनशील साहित्यकार और राजनीति में अजातशत्रु, ये तमाम खूबियां एक ही व्यक्ति में खोजने पर यदि किसी में मिलती थी, तो वो थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का नाम उन सर्वगुण सम्पन्न व्यक्तियों में से एक है, जो जिंदगी के हर पड़ाव पर अपने आपको साबित करने सफल रहे हैं। 'मैं देख पाता हूं, न मैं चुप हूं, न गाता हूं' यह भावपूर्ण पक्तियां भी अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा लिखी गई हैं।
भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के विराट व्यक्तित्व का वर्णन चंद शब्दों में संभव नहीं है। वे अपने समर्थकों के लिए आदर्श रहे हैं, लेकिन विपक्षियों में समादृत रहे हैं। जब अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक गलियारों से अपने विरोधियों पर ऐसी रोचक टिप्पणी करते थे, जिससे उनका मकसद भी पूरा हो जाता था और कड़वाहट भी पैदा नहीं होती थी।
अटल बिहारी वाजपेयी ने जमीन से जुड़े रहकर राजनीति की और 'जनता के प्रधानमंत्री' के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनायी थी। एक ऐसे इंसान जो बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में लोकप्रिय थे। देश का हर युवा, बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता था। अटलजी का बच्चों और युवाओं के प्रति खास लगाव था। इसी लगाव के कारण अटलजी बच्चों और युवाओं के दिल में खास जगह बनाते थे। उसी क्रम में आज के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी भी देश के नौजवानों, बहनों एवं करोड़ों नागरिकों से सीधा संपर्क साध कर उनके दिल व दिमाग में खास जगह बनाते हैं।
भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी जी का काम बहुत शानदार रहा। उनके कार्यों की बदौलत ही उन्हें भारत के ढांचागत विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है। सब के चहेते और विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी वाजपेयीजी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था। इसी कारण अटल बिहारी वाजपेयी जी का हर कोई सम्मान करता था और उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। राष्ट्रहित को सदा सर्वोपरि मानने के कारण उन्हें राष्ट्रपुरुष कहा जाता था। उनकी बातें और विचार सदा तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में युवा सोच झलकती थी। यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी। वाजपेयी जी जब भी संसद में अपनी बात रखते थे तब विपक्ष भी उनकी तर्कपूर्ण वाणी के आगे कुछ नहीं बोल पाता था।
यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत का वर्तमान विपक्ष जहां युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी की जनकल्याणकारी नीतियों का विरोध करने में कलांतर में भी गुरेज नहीं करता था। वहीं आज का संपूर्ण विपक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, श्री लालू प्रसाद यादव, श्री नीतीश कुमार, श्रीमती ममता बैनर्जी, श्री अरविंद केजरीवाल, श्री के. चंद्रशेखर राव (के.सी.आर), श्री एम.के. स्टालिन, श्री शदर पवार, श्री अखिलेश यादव, श्री असदुद्दीन ओवैसी समेत सभी दल प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की गरीब, निरीह, युवा, किसान मध्यम, दलित, आदिवासी, ओ. बी. सी वर्गो समेत समाज के सभी पक्षों का स्वर्गीकरण कल्याण करने के लिए सबका साथ, सबका विश्वास, सबका प्रयास, सबका विश्वास के मूल मंत्र के द्वारा देश को 21वीं सदी में विश्व गुरु बनाने के भागीरथ प्रयास में जिस तरह वह आदरणीय अटल जी का विरोध करते थे, आज भी उसी तरह का विरोध कर रहे हैं।
यही चेहरे आदरणीय प्रधानमंत्री अटल जी को राजनैतिक रूप से तंग करते थे, वही आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के विकास के रास्ते में पत्थर गिराने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं तमाम विरोधी दल मोदी सरकार का विरोध करते-करते राष्ट्र का विरोध करने से बाज नहीं आते। ना उस समय गरीब एवं राष्ट्रहित के लिए आदरणीय अटल जी रूके थे और ना ही आज आदरणीय नरेंद्र मोदी जी रूकने वाले हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय करने वाले युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी जी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज के नाम से जाने वाले विक्टोरिया कालेज में हुई। ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज से स्नातक करने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कानपुर के डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्रथम श्रेणी में प्राप्त की।
अटल बिहारी वाजपेयी जी स्कूली समय से ही भाषण देने के शौक़ीन थे और स्कूल में होने वाली वाद-विवाद, काव्य पाठ और भाषण जैसी प्रतियोगिताओं में हमेशा हिस्सा लेते थे। अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे। पत्रकार के रूप में उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया।
1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अटल बिहारी वाजपेयी सन् 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ संसदीय दल के नेता रहे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था।
अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व बहुत ही मिलनसार था। उनके विपक्ष के साथ भी हमेशा सम्बन्ध मधुर रहे। 1975 में आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। 1977 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में पहली बार मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी गैर कांग्रेसी सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने तो उन्होंने पूरे विश्व में भारत की छवि बनाई। विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने।
1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की और पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन, अटल जी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया। उनकी विकास व विचार यात्रा के उनके उत्तराधिकारी आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने 26 मई, 2014 से आगे बढ़ाया तथा जो स्वप्न आदरणीय अटल जी ने मुंबई सागर के तट पर देखा था, उसे पूरा करने में प्रधानमंत्री मोदी जी लग गए हैं एवं 2014 एवं 2019 की पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में गरीब कल्याण, युवा के स्वप्नों को पूरा करने और भारत को विश्व गुरू और मानवता व प्रकृति का प्रहरी राष्ट्र बनाने में सफलता की ओर पूर्णगति से बढ़ रही हैं।
1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन, 13 महीने बाद सरकार गिर गयी। इस बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए, लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा।
अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल की और पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई। लेकिन, कुछ ही समय बाद पाकिस्तानी सेना व पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर किया। एक बार फिर पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी और भारत को विजयश्री मिली।
1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 दलों से गठबंधन करके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के रूप में सरकार बनायी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इन पांच वर्षों में अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए। राजग सरकार ने गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू की।
अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की और दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। अटल जी को देश-विदेश में अब तक अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। 16 अगस्त 2018 को ऐसे महानायक का महाप्रयाण हो गया। उनकी कविता की चंद पंक्तियों के साथ ऐसे महामानव को शतकोटि नमन ।
क्या खोया, क्या पाया जग में
मिलते और बिछुड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत
यद्यपि छला गया पग-पग में
एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें!
पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी
जीवन एक अनन्त कहानी
पर तन की अपनी सीमाएँ
यद्यपि सौ शरदों की वाणी
इतना काफ़ी है अंतिम दस्तक पर, खुद दरवाज़ा खोलें!
जन्म-मरण अविरत फेरा
जीवन बंजारों का डेरा
आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
कौन जानता किधर सवेरा
अंधियारा आकाश असीमित,प्राणों के पंखों को तौलें!
अपने ही मन से कुछ बोलें!
(लेखक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री हैं)
Rani Sahu
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