सम्पादकीय

विराट और आहट

Gulabi
17 Jan 2022 8:02 AM GMT
विराट और आहट
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शनिवार को सोशल मीडिया के जरिये आई विराट कोहली की टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ने की खबर ने क्रिकेट प्रेमियों को चौंकाया
शनिवार को सोशल मीडिया के जरिये आई विराट कोहली की टेस्ट क्रिकेट की कप्तानी छोड़ने की खबर ने क्रिकेट प्रेमियों को चौंकाया। वैसे पिछले दिनों इस तरह के कयास लगाये जा रहे थे कि दक्षिण अफ्रीका दौरे के बाद टीम नेतृत्व में परिवर्तन हो सकता है। फिर सीरीज हारने के बाद इन आशंकाओं को बल मिल रहा था कि संभवत: कप्तानी में कोई बदलाव हो। वैसे परिस्थितियों के हिसाब से लगा था कि बीसीसीआई से विराट की ट्यूनिंग ठीक नहीं चल रही थी। पिछले दिनों उन्हें जिस तरह वन-डे की कप्तानी से हटाया गया, उससे विराट कहीं न कहीं आहत थे। ऐसे में अफ्रीका में टेस्ट शृंखला जीतना उनके लिये जरूरी था। पहला मैच उनकी कप्तानी में टीम ने जीता, मगर बाद के दो मैच टीम ने गवां दिये। उन्हें लगने लगा था कि दक्षिण अफ्रीका में शृंखला गंवाने के बाद उन्हें हटाया जा सकता है। ऐसे में किसी कार्रवाई से पहले ही उन्होंने कप्तानी छोड़ दी। कुछ क्रिकेट पंडित मानते हैं कि शृंखला के नतीजे से पहले तय हो चुका था कि बीसीसीआई कोहली को टेस्ट कप्तानी से हटाएगी। बहरहाल, कोहली ने कप्तानी को अलविदा कह दिया है। साथ ही कहा कि उन्होंने ईमानदारी से काम किया और कोई कसर नहीं छोड़ी। निस्संदेह, विराट देश के टेस्ट क्रिकेट के सबसे कामयाब कप्तान रहे हैं। विराट ने भारत के लिए 68 मैचों में कप्तानी की और 40 में जीत दिलायी। भारत ही नहीं, विदेशों में भी उनके नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन उन्हें कामयाब कप्तान बनाता है।
मगर महत्वपूर्ण सवाल यह है कि ऐसे सफल कप्तान की टेस्ट टीम कप्तानी से ऐसी विदाई होनी चाहिए थी? निस्संदेह विराट सम्मानजनक विदाई के हकदार थे। कहा जा सकता है कि विराट और बीसीसीआई के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। वहीं एक बात यह भी है कि कप्तानी के दबाव में विराट रन बनाने की उस लय से वंचित थे, जिसके चलते उन्हें दुनिया के विस्फोटक बल्लेबाजों में गिना जाता रहा है। अब विराट क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में से किसी भी टीम के कप्तान नहीं हैं। आईसीसी वर्ल्ड टी-20 कप से पहले ही उन्होंने टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने की बात कह दी थी। अब उनसे बेहतर क्रिकेट की उम्मीद की जानी चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में भी उनके बल्ले से रन तो निकले, मगर एक शतक इंतजार भी लंबा हुआ। ऐसे में लगता है कि उन्होंने इस मामले में सचिन तेंदुलकर का अनुसरण किया। जैसे सचिन ने सन‍् 2000 में कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था, तब उनके रन बनाने की गति प्रभावित हो रही थी। फिर कप्तानी छोड़ने के बाद आगे तेरह साल सचिन ने खूब क्रिकेट खेला और अच्छे रन बनाये। लगता है कि विराट अब बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। बहुत संभव है कि वे कप्तानी के तनाव से मुक्त होकर लंबी पारियों के लिये खुद को हल्का महसूस कर रहे होंगे। निस्संदेह, अब उनके पास अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने का पूरा समय होगा।
दैनिक ट्रिब्यून
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