सम्पादकीय

बंगाल विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हुई हिंसक झड़प

Gulabi Jagat
29 March 2022 5:26 PM GMT
बंगाल विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हुई हिंसक झड़प
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बंगाल विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हुई हिंसक झड़प यही बता रही है
बंगाल विधानसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हुई हिंसक झड़प यही बता रही है कि ममता सरकार बीरभूम की दिल दहलाने वाली घटना पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं थी। यह भी किसी से छिपा नहीं कि वह इस घटना की सीबीआइ जांच भी नहीं चाह रही थी। जब कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह कहते हुए एक तरह से उसे धमकी ही दी कि अगर जांच सही तरीके से नहीं की गई तो वह सड़कों पर उतरेंगी।
यदि कलकत्ता उच्च न्यायालय को बंगाल पुलिस पर भरोसा होता तो वह घटना की जांच सीबीआइ के हवाले करता ही क्यों? यहां यह भी ध्यान रहे कि इसी उच्च न्यायालय ने विधानसभा चुनावों के बाद हुई भीषण हिंसा की जांच इसीलिए सीबीआइ को सौंपी थी, क्योंकि बंगाल पुलिस ने उस दौरान हिंसक तत्वों की घोर अनदेखी की थी। यह अनदेखी बीरभूम की घटना के मामले में भी देखने को मिल रही और कोई भी समझ सकता है कि इसी कारण तृणमूल कांग्रेस यह नहीं चाह रही थी कि विधानसभा में इस विषय पर चर्चा हो।
आखिर बीरभूम की जिस भयावह घटना ने सारे देश को झकझोर दिया हो, उस पर विधानसभा में चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए थी? इससे खराब बात और कोई नहीं कि सत्तापक्ष के सदस्यों ने न केवल चर्चा से इन्कार किया, बल्कि चर्चा की मांग कर रहे भाजपा विधायकों से मारपीट भी की। आम तौर पर विधायी सदनों में हंगामा, धक्कामुक्की और मारपीट करने का आरोप विपक्ष पर लगता है, लेकिन बंगाल विधानसभा में इस आरोप के दायरे में सत्तापक्ष के सदस्य भी हैं। यह बात और है कि इस हिंसा के लिए केवल भाजपा विधायकों को जिम्मेदार माना गया और उनमें से पांच को साल भर के लिए निलंबित भी कर दिया गया।
यह मनमानी के अलावा और कुछ नहीं, क्योंकि कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के भाजपा विधायकों के साल भर के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया था। हैरानी नहीं कि बंगाल विधानसभा से निलंबित किए गए भाजपा विधायक भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। जो भी हो, बंगाल विधानसभा में सत्तापक्ष और विधायकों के बीच मारपीट की घटना नई नहीं। वहां इसके पहले भी ऐसी हिंसक घटनाएं घट चुकी हैं।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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