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राजीव सचान: किसी की चुनावी जीत कितनी घिनौनी हो सकती है, इसका शर्मनाक और खौफनाक उदाहरण है बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद ममता बनर्जी के कार्यकर्ताओं की ओर से मचाया जा रहा भीषण उत्पात। तृणमूल के नेता और कार्यकर्ता चुनाव नतीजे आते ही राजनीतिक विरोधियों पर जिस तरह टूट पड़े हैं, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं पर चुन-चुनकर हमले हो रहे हैं। उनके दुकान-मकान लूटे जा रहे, उनमें आगजनी की जा रही है। महिलाओं, बच्चों और वृद्धों तक को नहीं छोड़ा जा रहा है। स्थिति यह है कि प्रत्याशियों तक को निशाना बनाया जा रहा है और पुलिस या तो उनकी मदद करना नहीं चाहती या फिर ऐसा करने में असहाय है। चूंकि ऐसी कई घटनाएं पुलिस की उपस्थिति में हुई हैं इसलिए इसमें संदेह नहीं कि यह हिंसा प्रायोजित है। इसकी आशंका पहले से थी, क्योंकि बंगाल राजनीतिक हिंसा के लिए अर्से से कुख्यात है। वहां चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही राजनीतिक हिंसा शुरू हो गई थी। यह हिंसा चुनाव के दौरान भी जारी रही और वह भी तब, जब मतदान आठ चरणों में कराया गया।ममता बनर्जी ने कहा था- आखिर कितने दिन रहेंगे केंद्रीय बल