सम्पादकीय

घाटी में हिंसा

Subhi
6 Jun 2022 5:26 AM GMT
घाटी में हिंसा
x
आजकल जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा हिंदू समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या करके भय और आतंक पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। सत्ताइस दिनों में दस लक्षित हत्याएं हो चुकी हैं।

Written by जनसत्ता: आजकल जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा हिंदू समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या करके भय और आतंक पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है। सत्ताइस दिनों में दस लक्षित हत्याएं हो चुकी हैं। कश्मीर के भयभीत हिंदू पंडितों ने सरकार से गुजारिश की है कि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहंचाया जाए, अन्यथा वे पलायन कर जाएंगे। बहुत सारे हिंदू कश्मीर से जम्मू चले गए हैं, आतंकवादी भी यही चाहते हैं, ताकि वे कश्मीर में बहुसंख्यक हो जाएं और कश्मीर को एक अलग देश घोषित कर दें। कुछ दिनों पहले एक अध्यापक, फिर एक बैंक मैनेजर और फिर एक बाहरी व्यक्ति की निशाना बना कर हत्या कर दी गई।

पौने तीन साल पहले सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त करते हुए एलान किया था कि अब वहां सब कुछ ठीक हो गया है। लगभग हर दिन आतंकवादी मारे जाते हैं और सरकार लोगों को यह आश्वासन देती है कि आतंकवाद की रीढ़ की हड््डी तोड़ दी गई है। सरकार ने अधिकांश अलगाववादियों को जेलों में बंद कर रखा है और जेकेएलएफ के सुप्रीमो को एनआइए ने विभिन्न धाराओं के तहत उम्र कैद की सजा देकर आतंकवादियों और अलगाववादी तत्वों को संदेश दिया है कि भारत विरोधी किसी भी गतिविधि को सहन नहीं किया जाएगा। पर सरकार द्वारा अपनाए गए सभी प्रकार के उपायों के बावजूद न तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ रुकी है, न ही जम्मू कश्मीर मैं आतंकवादियों द्वारा बेकसूर लोगों को मारा जाना रुका है! आतंकवादी जब जहां चाहें वहां किसी को भी अपना निशाना बना रहे हैं।

इन सब बातों से ऐसा लगता है कि समस्या के समाधान के लिए सरकार को अपनी कश्मीर नीति पर पुनर्विचार करना होगा, लक्षित हत्या को रोकने के लिए हिंदुओं को सुरक्षा मुहैया करानी पड़ेगी, जम्मू कश्मीर में बाहर से आए हुए लोगों को काम करने के लिए सुरक्षा का आश्वासन देना होगा, भयभीत कश्मीरी पंडितों को न केवल पुनर्स्थापित करना चाहिए, बल्कि उनको पर्याप्त आर्थिक सहायता देकर उनके मकानों की मरम्मत करानी चाहिए, काम-धंधा शुरू करने के लिए उन्हें आर्थिक सहायता देनी चाहिए और इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें आतंकवादियों द्वारा किसी प्रकार से तंग न किया जाए और न ही निशाना बनाना चाहिए। इसके साथ-साथ सरकार को अपनी गुप्तचर और सुरक्षा एजंसियों को नए सिरे से सक्रिय करना पड़ेगा।

सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की पहचान कर घेरा जाना चाहिए और स्थानीय आतंकवादियों को उनकी औकात बता देनी चाहिए। स्थानीय लोगों के दिलों को जीतने की कोशिश जी-जान से करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अब केंद्रीय शासन है, दूसरे शब्दों में यहां भी और केंद्र में भी भाजपा की सरकार है, कश्मीर संबंधी कोई निर्णय लेना या कार्रवाई करने में कोई रुकावट नहीं। कश्मीर समस्या का समाधान इस वक्त सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी है।

पंजाब सरकार ने अपना फैसला पलटते हुए चार सौ चौबीस अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा बहाल करने का एलान किया है। जाहिर है कि प्रसिद्ध गायक सिद्धू मुसेवाला की निर्मम हत्या के बाद देर आयद, दुरुस्त आयद की तर्ज पर उठाया गया कदम है। पर ठोकर खाकर संभलना समझदारों की पहचान नहीं होती। हमने पंजाब सरकार द्वारा जल्दबाजी में उठाए गए एक गलत कदम की भारी कीमत के रूप में एक मशहूर और प्रतिभावान युवा गायक को असमय गंवा दिया है। परिस्थितियों का गलत या भ्रांतिपूर्ण आकलन इतना भयावह होगा, इसकी आशंका किसी को नहीं थी।

बहरहाल, इस घटना का सबक यही है की सरकार को अपने प्रत्येक कदम और निर्णय सकारात्मक तथा नकारात्मक पहलुओं की गहरी समीक्षा करके ही लेना चाहिए। ये तमाम विश्लेषण सत्य पर आधारित होने चाहिए। जांच एजेंसियों को भी इस मामले में बेहद सजग, निष्पक्ष और व्यावहारिक होना आवश्यक है। सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे का एकमात्र आधार 'संपूर्ण निपुणता' और 'शत प्रतिशत निष्ठा' है। आशा है कि भविष्य में सभी निर्णय गहरी जांच पड़ताल और समुचित आंकलन के बाद ही लिए जाएंगे।


Next Story