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- आंदोलन में हिंसा
लखीमपुर में उड़ी हिंसा की धूल पूरी तरह जमीन पर आई भी नहीं है कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के निकट एक युवक की निर्मम हत्या ने झकझोर कर रख दिया है। यह हत्या ऐसी है, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा ने भी पल्ला झाड़ लिया है और इसे एक बड़ी साजिश करार दिया है। हत्यारों ने जिस तरह से शव को अपमानित किया है, उसे हल्के से नहीं लिया जा सकता। यह घटना ऐसी नहीं है, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा आसानी से दामन छुड़ा ले। कोई भी आंदोलन जिम्मेदारी भरा काम है, इस जिम्मेदारी को उठाने वालों के लिए यह जरूरी है कि वे संविधान और मानवीयता के तहत अपना नैतिक बल बनाए रखें। इस हत्या से आंदोलन पर भले कोई सीधा असर न पडे़, लेकिन एक दुखद अध्याय तो उसके साथ जुड़ ही गया है। किसान मोर्चा पूरा जोर लगा देगा कि वह मरने वालों के साथ-साथ मारने वालों से भी दूरी बना ले, लेकिन क्या वह हाथ झाड़कर खड़ा हो सकता है?