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- गांव, किसान, कृषि को...
हमारे देश की कई मारूफ शख्सियतों ने वर्षों पूर्व इस बात का जिक्र किया था कि भारत गांव में बसता है तथा देश की उन्नति व खुशहाली की राह गांव से होकर गुजरती है। देश की विशाल आबादी को आनाज जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों सहित फल-सब्जियां व दुग्ध पदार्थों की बड़े पैमाने पर पूर्ति करा कर हमारे गांव सदियों से अपनी मेहनत व ताकत का एहसास करा रहे हैं। कृषि क्षेत्र को अपने पसीने से मुनव्वर करने वाले कृषि अर्थशास्त्र के अनुभवी परोधा किसान तथा देश की अर्थव्यवस्था का सदृढ़ स्तम्भ करोड़ों पशुधन का आशियाना भी गांव में ही है। मगर गांव का आकर्षण मात्र कृषि कार्यों तक ही सीमित नहीं है। वैश्विक खेल पटल पर भारत का तिरंगा फहराने वाले देश का सबसे बड़ा सरमाया हमारे खिलाड़ी ज्यादातर गांव की धरती से ही निकल रहे हैं। युद्धभूमि में दुश्मन को नेस्तनाबूद करके देश की सरहदों को अपने खून से सींचकर संग्रामवीरता के कई सुनहरे मजमून लिखने वाले शौर्य के यशरूप हमारे बहादुर सैनिकों की पृष्ठभूमि भी गांव ही रहे हैं। दुनिया में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते खुमार व आधुनिकता की इस आंधी के दौर में हमारी पुरातन संस्कृति, संस्कार, पारंपरिक ज्ञान, गरिमामयी लोक परंपराएं, देव संस्कृति, प्राचीन से चले आ रहे सद्भाव के प्रतीक उत्सव, धार्मिक व अध्यात्मिक मान्यताएं, पारंपरिक परिधान, वेशभूषा, त्योहारों के अवसर पर बनने वाले लज्जत भरे पारंपरिक लजीज व्यंजन, स्थानीय भाषाएं, अनमोल वास्तुकला, बेशकीमती शिल्पकलाएं, कर्मकांड, लोक संगीत, लोकनृत्य, प्राकृतिक कृषि उत्पाद, कुश्ती जैसा पारंपरिक खेल तथा कई सामाजिक व्यवस्थाओं से परिपूर्ण सांस्कृतिक विरासतों को सहेजने का पूरा श्रेय हमारे गांवों को ही जाता है।