सम्पादकीय

सतर्कता के प्रबंध जरूरी

Rani Sahu
5 Oct 2023 6:53 PM GMT
सतर्कता के प्रबंध जरूरी
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By: divyahimachal
यह माना जा सकता है कि किसी सिरफिरे ने धर्मशाला की दीवार पर विवादित और पृथकतावादी नारे लिख दिए, लेकिन इस जुर्रत के लिए कानून-व्यवस्था के पहरों से शिकायत तो रहेगी ही। खास तौर पर जब क्रिकेट वल्र्ड कप के लिए पुलिस के पहरे तैनात थे, तो ये सेंधमारी दीवारों पर खालिस्तान समर्थकों के हस्ताक्षर कैसे लिख गई। जाहिर है यह हरकत करके देश की अखंडता को चुनौती देने की निर्लज्ज कोशिश हो रही है और इसी कड़ी में दूसरी बार सीमा पार बैठे गुरपतवंत सिंह पुन्नू का संगठन अपना नाम चस्पां करने के लिए, धर्मशाला की दीवारों को चिंतित कर रहा है। इससे पहले तपोवन विधानसभा परिसर के बाहर खालिस्तानी झंडों की श्रृंखला दिखाई दी गई थी। इन दोनों घटनाक्रमों में कुछ बातें सामान्य हैं यानी हिमाचल में विखंडनकारी ताकतों के खलल की पैमाइश हो रही है। पंजाब से सटे इलाकों से बार-बार ऐसे षड्यंत्रकारी तत्वों की आमद हो रही है। ऐसे में हमारी अपनी निगरानी और पुलिस बंदोबस्त का ढर्रा वही पुराना है। हिमाचल की सीमाई संवेदना में केवल पंजाब के अराजक व पृथकतावादी तत्वों का खतरा नहीं, बल्कि कश्मीर समस्या की चुनौतियां तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन की संदेहास्पद हरकतें भी दिखाई देती हैं। इस लिहाज से हमने आज तक किया ही क्या। बेशक ऐसे घटनाक्रम को अपराध की शिनाख्त में कड़ाई से देखा भी गया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय साजिशों पर नजर रखने के लिए पूरी प्रक्रिया को बदलना पड़ेगा।
आज भी पुलिस महकमे को हिमाचली आचरण में देखा जाता है, जबकि इस प्रदेश में हर साल अपनी आबादी से तीन गुना लोग बाहर से आ रहे हैं। ऐसा जरूरी नहीं कि जिन्हें हम पर्यटक मानकर स्वागत द्वार खड़े कर रहे हैं, वे हमारे शांत वातावरण को विचलित नहीं करेंगे। पर्यटन की खाल में हो रही घुसपैठ पहले भी कुछ अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्रों का सुराग दे गई है। प्रदेश में फैलता नशे का कारोबार इन तमाम साजिशों के जाल में एक सबूत की तरह मानव चरित्र को दूषित कर रहा है, तो देश विरोधी ताकतों के लिए पैसे के दम पर बरगलाने के लिए यह हथियार बन जाता है। ऐसे में हिमाचल को अपने पुलिस बंदोबस्त के नैन नक्श तथा प्रदर्शन के तौर तरीके बदलने चाहिएं। विडंबना यह है कि जो राज्य आगामी कुछ सालों में पर्यटक आगमन के आंकड़े को पांच करोड़ तक पहुंचाना चाहता है, उसके पास इनके ऊपर नजर रखने का कोई मैकेनिज्म नहीं। नतीजतन हमारे प्रवेश द्वार केवल स्वागत की मुद्रा में बाहर से आ रहे खतरों को नजरअंदाज कर रहे हैं। पर्यटकों के पंजीकरण तथा उनके भ्र्रमण को किसी ऐप के जरिए मानिटर करने की जरूरत है।
हिमाचल में निजी वाहनों के जरिए जो समूह प्रवेश कर रहे हैं, उनकी पूर्ण पड़ताल तथा डे एंड नाइट पैट्रोलिंग न होने के कारण कई तरह के तत्व घूम रहे हैं। कम से कम ये दोनों व इससे पूर्व की विखंडनकारी घटनाओं से सबक लेते हुए हिमाचल को अपनी सतर्कता के लिए प्रयास तथा प्रबंध बढ़ाने ही पड़ेंगे। जैसा कि हम पहले भी कहते आए हैं हिमाचल के बार्डर एरिया में पहले से बीबीएन व नूरपुर को पुलिस जिला बनाने के अलावा कुछ और पुलिस जिले सिरमौर तथा ऊना में चिन्हित करने चाहिएं। सारे सीमांत पुलिस जिलों की एक बार्डर रेंज बना कर इनका मुख्यालय बीबीएन में एक अतिरिक्त डीजीपी के तहत संचालित करना होगा। पुलिस के बीबीएन मुख्यालय के तहत सीमांत चौकसी, नशे के खिलाफ सक्रिय भूमिका, पर्यटन प्रवेश की जांच परख तथा इंडस्ट्रियल सुरक्षा की जिम्मेदारी देनी होगी। इसी के साथ प्रदेश में शिमला, धर्मशाला, मंडी व सोलन जैसी शहरी आबादी के लिए पुलिस आयुक्तालयों का गठन करते हुए इसके साथ ग्रामीण पुलिस व्यवस्था को भी अमलीजामा पहनाना होगा। पुलिस महकमे को शिमला से बाहर निकाल कर कानून व्यवस्था की तमाम चुनौतियों का सामना करने की हिदायत मिल चुकी है।
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