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- पर्यटन के मकसद से...

पर्यटन के मकसद से हिमाचल को रेखांकित करता उत्साह जिस 'धूम की खोज पर निकलता है, उसको समझना, व्यवस्थित करना और भटकने से रोकना भी एक शर्त है। पिछले एक हफ्ते के भीतर सैलानियों से गुलजार घाटियों के बीच मौसम की छेडख़ानी ने भी आंखें दिखाई हैं। लाहुल-स्पीति, किन्नौर और अन्य जिलों के ऊपरी हिस्सों की ट्रैकिंग पर निकले पर्यटकों को अनावश्यक रूप से दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं और सांगला घाटी में चार की मौत व अन्य चार के लापता होने की सूचना कई प्रश्न उठाती है। इसका बड़ा कारण यही रहा कि हिमाचल में पर्यटन का कारोबार असंगठित व बेतरतीब दोहन की बुनियाद पर चल रहा है। कहने को यहां पर्वतारोहण संस्थान व ईको टूरिज्म की दुहाई देने का सबब मौजूद है, लेकिन किसी तरह पर्यटकों को ढोकर पर्वतों पर चढ़ाने की होड़ लगी है। बेशक लाहुल-स्पीति प्रशासन ने ट्रैकिंग एवं पर्वतारोहण पर दो अक्तूबर से ही रोक लगा दी थी, लेकिन ढाई सौ के करीब सैलानी मौसम से उलझ गए। यह दीगर है कि स्थानीय लोगों ने उन्हें बचानेे और सुरक्षित राह से निकल जाने में मदद की, लेकिन अब पर्यटन के मकसद से प्रदेश को सतर्क रहना होगा। जहां भी पर्यटकों के झुंड बढ़ रहे हैं, वहां सतर्कता व माकूल बंदोबस्त की जरूरत है। अटल टनल ने लाहुल-स्पीति में पर्यटन का अंदाज बदला है, लेकिन मौसम के लिखे संदेश को भूल कर टूअर आपरेटर इस वसंत को सालभर लूटना चाहते हैं। हिमाचल के पर्यटन को केवल ढोया नहीं जा सकता, लेकिन मौजूदा दौर में सबसे अधिक लोग केवल ढोए जा रहे हैं।
Divyahimachal
