सम्पादकीय

पर्यटन के मकसद से सतर्कता

Rani Sahu
22 Oct 2021 6:44 PM GMT
पर्यटन के मकसद से सतर्कता
x
पर्यटन के मकसद से हिमाचल को रेखांकित करता उत्साह जिस ‘धूम की खोज पर निकलता है

पर्यटन के मकसद से हिमाचल को रेखांकित करता उत्साह जिस 'धूम की खोज पर निकलता है, उसको समझना, व्यवस्थित करना और भटकने से रोकना भी एक शर्त है। पिछले एक हफ्ते के भीतर सैलानियों से गुलजार घाटियों के बीच मौसम की छेडख़ानी ने भी आंखें दिखाई हैं। लाहुल-स्पीति, किन्नौर और अन्य जिलों के ऊपरी हिस्सों की ट्रैकिंग पर निकले पर्यटकों को अनावश्यक रूप से दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं और सांगला घाटी में चार की मौत व अन्य चार के लापता होने की सूचना कई प्रश्न उठाती है। इसका बड़ा कारण यही रहा कि हिमाचल में पर्यटन का कारोबार असंगठित व बेतरतीब दोहन की बुनियाद पर चल रहा है। कहने को यहां पर्वतारोहण संस्थान व ईको टूरिज्म की दुहाई देने का सबब मौजूद है, लेकिन किसी तरह पर्यटकों को ढोकर पर्वतों पर चढ़ाने की होड़ लगी है। बेशक लाहुल-स्पीति प्रशासन ने ट्रैकिंग एवं पर्वतारोहण पर दो अक्तूबर से ही रोक लगा दी थी, लेकिन ढाई सौ के करीब सैलानी मौसम से उलझ गए। यह दीगर है कि स्थानीय लोगों ने उन्हें बचानेे और सुरक्षित राह से निकल जाने में मदद की, लेकिन अब पर्यटन के मकसद से प्रदेश को सतर्क रहना होगा। जहां भी पर्यटकों के झुंड बढ़ रहे हैं, वहां सतर्कता व माकूल बंदोबस्त की जरूरत है। अटल टनल ने लाहुल-स्पीति में पर्यटन का अंदाज बदला है, लेकिन मौसम के लिखे संदेश को भूल कर टूअर आपरेटर इस वसंत को सालभर लूटना चाहते हैं। हिमाचल के पर्यटन को केवल ढोया नहीं जा सकता, लेकिन मौजूदा दौर में सबसे अधिक लोग केवल ढोए जा रहे हैं।

दिल्ली के मजनंू टीला या देहरादून-जम्मू से हिमाचल का पता पूछते पर्यटक को जो निजी बसें ढो रही हैं, वे अपने पैकेज की किफायत में ऐसा मनोरंजन भी भर रही हैं, जिसे सुरक्षित पैमानों की जरूरत है। आरंभिक दौर में हिमाचल का पर्यटन जिस तीव्रता से पर्यटन विकास निगम की शैली में विकसित हुआ, आज उससे कहीं आगे निकलने की फिराक में है। यह इसलिए भी इस समय युवा पर्यटक के नक्शे पर हिमाचल के कई अछूते इलाके डेस्टीनेशन बन रहे हैं। पर्यटक शिमला, मनाली, धर्मशाला, चंबा, नाहन या मंडी को केवल अपने प्रस्थान का गंतव्य बनाकर जिन पहाड़ों को खोज रहे हैं, उस मकसद को पर्यटन के अस्तित्व व सुरक्षा कवच से जोडऩा होगा। ऐसे में लाहुल-स्पीति के नए पर्यटन के संबोधन में नया प्रबंधन तब कारगर होगा, अगर हम ट्राइबल पर्यटन काउंसिल या बोर्ड बनाकर भरमौर, पांगी और किन्नौर तक की संभावना पुनर्परिभाषित करते हुए माकूल व्यवस्था करें। इसी के साथ साहसिक व युवा आकर्षण के पर्यटन को एक सीजन बनाते हुए ऐसी अथारिटी का गठन करें, जो सुरक्षा देने व इसके अनुरूप सुरक्षित ढांचा खड़ा करने में सक्षम हो। इसी के साथ पर्यटन पुलिस के तहत व्यवहार व बचाव की जिम्मेदारी को नत्थी किया जा सकता है
पिछले कुछ सालों में पर्यटन की कैटेगरी बदली है और इसी के साथ पर्यटक की प्रवृत्ति भी बदली है। पिछले दिनों ज्वालामुखी मंदिर की धार्मिक परिधि के भीतर श्रद्धालुओं से मारपीट का बवाल अगर सोशल मीडिया को उद्वेलित करता रहा, तो इसका यथार्थवादी पक्ष केवल चौकसी है और ऐसे स्थलों की डिजिटल निगरानी की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे मेंं तमाम धार्मिक व पर्यटक स्थलों की पुलिस व्यवस्था को तेज तर्रार बनाने के साथ डिजिटल उपकरणों से सुसज्जित करने की जरूरत है। धार्मिक व पर्यटक स्थलों का सूचना कक्ष केवल पर्यटन जानकारियां नहीं, बल्कि वहां के माहौल, घटनाक्रम, मनोरंजन व कायदे-कानूनों के संबंध में सैलानियों को सचेत भी करे। प्रदेश के प्रदेशद्वारों पर पर्यटन पंजीकरण तथा ऐप के जरिए उनके भ्रमण को संचालित व सुरक्षित बनाने की सबसे बड़ी जरूरत है ताकि वे न तो रास्ता भटकें और न ही उनके साथ पर्यटन उद्योग से संबंधित कोई भी सेवा प्रदान करने वाला भटका सके।

Divyahimachal

Next Story