- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- Vice President M...
प्रवीण लखेड़ा।
पिछले दिनों उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय में कहा कि देश की शिक्षा पद्धति मैकाले की शिक्षा पद्धति के अनुरूप नहीं होनी चाहिए और अपनी शिक्षा प्रणाली को भारतीय संस्कृति के अनुसार बनाना चाहिए। उनके इस कथन से यही इंगित होता है कि हमारी शिक्षा प्रणाली अभी भी मैकाले के प्रभाव में है। इससे इन्कार भी नहीं किया जा सकता। नई शिक्षा नीति तो आ गई है, लेकिन पाठ्यक्रम में परिवर्तन का प्रश्न जहां का तहां खड़ा है। हरिद्वार में दिए गए वक्तव्य के बाद वेंकैया नायडू ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के एक कार्यक्रम में भारतीय इतिहास का तथ्य आधारित शोध के माध्यम से 'वस्तुपरक पुनर्मूल्यांकन' करने का आह्वान किया। इन दोनों अवसरों पर उपराष्ट्रपति ने जो कुछ कहा, उसके अर्थ को जानने के लिए हमें अपने अतीत में जाना होगा। प्रश्न यह है कि ब्रिटिश शासक मैकाले के माध्यम से हम पर अपनी शिक्षा पद्धति क्यों थोपना चाहते थे?