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इस घटना से सामने आया कि बड़ी से बड़ी कंपनी भी संघ की सोच के खिलाफ जाकर आज कोई निर्णय नहीं ले सकती
By NI Editorial
इस घटना से सामने आया कि बड़ी से बड़ी कंपनी भी संघ की सोच के खिलाफ जाकर आज कोई निर्णय नहीं ले सकती। गौरतलब है कि टाटा समूह की तरफ से सीईओ नियुक्त किए गए इल्कर आयजू को आखिर कहना पड़ा कि वे एयर इंडिया एयरलाइंस के सीईओ का पद नहीं संभालेंगे।
एयर इंडिया के सीईओ पद को लेकर हुआ विवाद इस बात की मिसाल है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सोच आज किस हद तक प्रभावी हो चुकी है। अब कारोबार की दुनिया पर इसका क्या असर होगा- या हो रहा है, ये दीगर सवाल है। इस घटना से सामने आया कि बड़ी से बड़ी कंपनी भी संघ की सोच के खिलाफ जाकर आज कोई निर्णय नहीं ले सकती। गौरतलब है कि टाटा समूह की तरफ से सीईओ नियुक्त किए गए इल्कर आयजू को आखिर कहना पड़ा कि वे एयर इंडिया एयरलाइंस के सीईओ का पद नहीं संभालेंगे। उन्हें सीईओ बनाए जाने की खबर आने से बाद से ही आरएसएस समेत कुछ गुट इस पर विरोध जता रहे थे। आयजू का कहना है कि मीडिया के कुछ धड़ों में उनकी नियुक्ति को अवांछनीय रंग देने की कोशिश हो रही थी। उन्होंने कहा- "हमेशा पेशेवर ईमान को तरजीह देने वाला एक बिजनेस लीडर होने के नाते मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि ऐसी कहानियों के साये में मेरे लिए इस पद को संभालना एक उचित या सम्मानजनक निर्णय नहीं होगा।" टाटा समूह ने आयजू से जुड़ी इस खबर की पुष्टि की है।
इसके पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक शाखा ने भारत सरकार से मांग की थी कि आयजू को भारत की पूर्व सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के सीईओ के तौर पर स्वीकार ना किया जाए। संघ को इल्कर आयजू के तुर्की से रहे संबंधों से परेशानी थी। जबकि एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मीडिया से कहा था कि नियुक्ति से पहले आयजू के बारे में जो जांच-पड़ताल की गई थी, वह सामान्य से ज्यादा गहन थी। उसके बाद ही नियुक्ति का फैसला हुआ था। आयजू 1994 में तब रेचप तैयप एर्दोआन के सलाहकार थे। तब वे इस्तांबुल के मेयर थे। आयजू टर्किश एयरलाइंस के सीईओ भी रह चुके हैं। टाटा समूह ने पिछले महीने ही एयर इंडिया का नियंत्रण अपने हाथ में लिया है। 14 फरवरी को टाटा ने इल्कर आयजू की नियुक्ति का ऐलान किया था। टाटा समूह ने कहा था कि आयजू विमानन उद्योग के एक अगुआ हैं जो एयर इंडिया को नए युग में ले जाएंगे। लेकिन आरएसएस के संगठन स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि सरकार को इल्कर आयजू की नियुक्ति को मंजूरी नहीं देनी चाहिए क्योंकि तुर्की पाकिस्तान से सहानुभूति रखता है। अंत में संघ की बात ही सर्वोपरि साबित हुई।
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Gulabi
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