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![फालतू की याचिकाओं पर फैसले: जब तक निरर्थक याचिकाओं पर सुनवाई होती रहेगी, तब तक वे अदालतों में दायर भी होती रहेंगी फालतू की याचिकाओं पर फैसले: जब तक निरर्थक याचिकाओं पर सुनवाई होती रहेगी, तब तक वे अदालतों में दायर भी होती रहेंगी](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/06/09/1092937-dq.webp)
राजीव सचान : बीते सप्ताह जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि फालतू की याचिकाओं के कारण उसके समय की बर्बादी होती है और उसे गंभीर मामलों को सुनवाई के लिए समय नहीं मिल पा रहा तो वह कहानी स्मरण हो आई, जिसमें एक साधु एक जुआरी की जुआ खेलने की आदत छुड़ाने के लिए पेड़ को कसकर पकड़ लेता है और यह चिल्लाता है कि पेड़ उसे छोड़ नहीं रहा। जब जुआरी हैरत से यह कहता है कि महाराज, पेड़ ने आपको नहीं पकड़ा, आप पेड़ को पकड़े हुए हैं, तब साधु उससे कहते हैं कि तुम्हारी जुआ खेलने की आदत ने भी तुम्हें नहीं पकड़ा, बल्कि तुमने उसे पकड़ रखा है। अच्छा हो कि सुप्रीम कोर्ट को भी यह समझ आए कि फालतू की याचिकाएं वह खुद ही सुनता है। याचिकाकर्ता उसे अपनी याचिकाएं सुनने के लिए बाध्य नहीं करते। जब दो-चार फालतू की याचिकाएं सुनी जाती हैं, तब फिर ऐसी याचिकाएं दाखिल करने वालों की हिम्मत बढ़ती जाती है और इसके नतीजे में और अधिक फालतू की याचिकाएं दायर होती हैं-न केवल सर्वोच्च न्यायालय में, बल्कि उच्च न्यायालयों में भी। इसका ताजा उदाहरण वह याचिका रही, जिसे अभिनेत्री जूही चावला ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल किया था। उनकी मांग थी कि 5जी के ट्रायल को रोका जाए।
![Gulabi Gulabi](/images/authorplaceholder.jpg?type=1&v=2)