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वहीं, देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां वाहनों की पार्किंग का संकट लगातार बढ़ रहा है
मोहम्मद अली खान| देश की राजधानी दिल्ली में एक बड़ी समस्या
वहीं, देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां वाहनों की पार्किंग का संकट लगातार बढ़ रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, सत्तर लाख से अधिक वाहनों वाले इस महानगर में वाहनों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है, लेकिन इसी अनुपात में इनकी पार्किंग के इंतजाम नहीं किए जा रहे। देश की राजधानी दिल्ली के साथ एक बड़ी समस्या यह भी जुड़ी हुई है कि यहां पड़ोसी शहरों से भी प्रतिदिन लाखों की संख्या में गाड़ियां आती हैं।
इन्हें भी आखिरकार कहीं ना कहीं जगह चाहिए। यही वजह है कि सड़क से लेकर बाजार तक बुरा हाल है। बढ़ते वाहनों की वजह से वायु प्रदूषण से भी राजधानी को दो-चार होना पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने दिल्ली सरकार को सुझाव दिया था कि शहर में बढ़ते प्रदूषण, सड़क जाम और पार्किंग जैसी समस्याओं पर काबू पाने के लिए निजी वाहनों की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाई जाए। इसके लिए पार्किंग शुल्क में इजाफे की बात कही गई थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या पार्किंग की समस्या का यह स्थाई समाधान हो सकता है?
जरूरत इस बात की है कि विकराल रूप लेती पार्किंग की समस्या का स्थाई समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह कहा जा सकता है कि पार्किंग की समस्या बहुत बड़ी परेशानी का सबब बनती नजर आएगी।
आज शहरों में निजी वाहनों की संख्या में बेतहाशा और अनियंत्रित बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते सुगम यातायात प्रभावित होता है। ऐसे में सरकारों को निजी वाहनों के क्रय पर लोक परिवहन एवं यातायात शुल्क अधिरोपित करने का प्रावधान करना चाहिए, जिससे निजी वाहनों की संख्या में कमी आएगी और सुगम यातायात सुनिश्चित हो सकेगा। मौजूदा वक्त में नगरीकरण की दर में हो रही वृद्धि से शहरों की भूमियों के मूल्यों में अनपेक्षित बढ़ोतरी हुई है।
इसलिए शहरों में विशेषकर व्यस्ततम इलाकों में रिक्त स्थानों के अभाव होने से शहर की आवश्यकता के अनुरूप पार्किंग अधोसंरचना का विकास किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है। इसके चलते लोग अपनी गाड़ियों को घर से बाहर सड़क पर पार्क कर देते हैं। इससे न केवल सड़क पर से होकर गुजरने वाले लोगों को बल्कि यातायात को भी कई प्रकार की दिक्कतें झेलनी पड़ती है। ऐसे में शहर में सुगम यातायात सुनिश्चित करने के लिए पार्किंग अधोसंरचना में वृद्धि एवं अपेक्षित जनसहभागिता की आवश्यकता है। अकसर यह देखा गया है कि पार्किंग के प्रति जन-जागरूकता के अभाव में कई लोग पार्किंग स्थलों का उपयोग न कर, पार्किंग के लिए गैर चिह्नित स्थलों पर वाहन पार्क कर देते हैं।
इसके अतिरिक्त कुछ लोग नो-पार्किंग जोन, नो-स्टॉपिंग जोन एवं कंट्रोल्ड पार्किंग के क्रियान्वयन में अपेक्षानुरूप सहयोग नहीं करते है, जिससे पार्किंग नियमों का समुचित क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता है। यह सही है कि पार्किंग नियमों का पालन तभी हो सकेगा, जब नागरिक पार्किंग के महत्त्व को समझें। लेकिन, इसके साथ-साथ सरकारों को पार्किंग की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे साथ ही नागरिकों को सूचना, शिक्षा, संचार गतिविधियों के माध्यम से पार्किंग के महत्त्व को समझाये जाने की निहायत जरूरत भी है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

Rani Sahu
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